फ्रांस ने अपने नागरिकों से जल्द से जल्द पाकिस्तान छोड़ने को कहा, जानिए इसके पीछे की वजह

पाकिस्तान इस्लामिक कट्टरपंथी देश है. यहां आतंक की पौध तैयार की जाती है. इन दिनों पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन चल रहा है. जेहादी मानसिकता रखने वाले लोग सड़कों पर उतर चुके हैं. पुलिस से मुठभेड़ हो रही है. इस पूरे खतरनाक मुहिम की अगुवाई करने वाले मौलाना साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया है. यहां फ्रांस के दूतावास को बंद करने की मांग हो रही है. ऐसे में फ्रांस ने अपने नागरिकों को तुरंत पाकिस्तान छोड़ने की सलाह दी है. इस्लामाबाद में स्थित फ्रांसीसी दूतावास ने एक ईमेल के जरिए बताया है कि उनके ऊपर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण अगर कोई फ्रांसीसी नागरिक पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में रहता हो तो वह तुरंत ही दूसरे देश रवाना हो जाए. पाकिस्तान के कई शहरों में इन दिनों कट्टरपंथी संगठन फ्रांस से राजनयिक संबंध तोड़ने को लेकर उग्र विरोध कर रहे हैं. 

इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के मुखिया साद रिजवी को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. उसके संगठन को भी हिंसा फैलाने के आरोप में आतंकवाद अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया जा चुका है. फिर भी पाकिस्तान के कई शहरों में हजारों लोग साद रिजवी की रिहाई को लेकर सड़कों पर हैं.च

पाकिस्तान में हिंसा और झड़पों के दौरान अबतक सात लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. पार्टी समर्थकों ने फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के लिये इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय दिया था, लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने सोमवार को पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद टीएलपी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. 

खादिम हुसैन रिजवी के आकस्मिक निधन के बाद साद रिजवी तहरीक ए लबैक पाकिस्तान पार्टी का नेता बन गया था. रिजवी के समर्थक, देश के ईशनिंदा कानून को रद्द नहीं करने के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं.पार्टी चाहती है कि सरकार फ्रांस के सामान का बहिष्कार करे और फरवरी में रिजवी की पार्टी के साथ हस्ताक्षरित करारनामे के तहत फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकाले.

पाकिस्तान के कट्टरपंथी फ्रांस की मैगजीन चार्ली हेब्दो में प्रकाशित किए गए मोहम्मद साहब के विवादित कार्टून से चिढ़े हुए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्लामिक आतंकवाद पर दिए गए बयान को लेकर भी पाकिस्तानी संसद में निंदा प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. इतना ही नहीं, पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने फ्रांसीसी राजदूत को तलब कर विरोध भी जताया था.

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