
पेइचिंग
लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के फिंगर 4 से लेकर 8 तक सेना को हटाने वाले चीन ने पास में ही स्थित अपने सैन्य ठिकाने रुटोग में बड़े पैमाने पर हथियार और सैनिक जमा कर रखे हैं। सैटलाइट तस्वीरों से साफ नजर आ रहा है कि चीन ने न केवल यहां सैनिक तैनात कर रखे हैं, बल्कि अपने रुटोग सैनिक अड्डे का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है। चीनी तैयारी से साफ नजर आ रहा है कि अगर उसे भारत की ओर से खतरे का अंदेशा हुआ तो वह तत्काल बड़े पैमाने पर सैनिक और हथियार पैंगोंग झील के पास भेज सकता है।
द इंटेलिजेंस की ओर से 11 मई को ली गई सैटलाइट तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीन ने रुटोग में युद्धक वाहन, हथियारों का जखीरा, जवानों को गरम रखने वाले टेंट लगा रखे हैं। चीन ने कई ऐसे बैरक बनाए हैं जिन्हें ऊपर ढंक रखा है ताकि सैटलाइट से उसके अंदर नहीं देखा जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अंदर चीन ने बड़े पैमाने पर हथियार छिपाकर रखे हैं। तस्वीर से चीनी सैन्य बेस काफी विशाल नजर आ रहा है।
चीन अक्साई चिन इलाके में नए हेलीपोर्ट और बैरक बना रहा
उधर, चीन अक्साई चिन इलाके में भी बहुत तेजी से आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रहा है। सैटलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन अक्साई चिन इलाके में नए हेलीपोर्ट और बैरक बना रहा है। यही नहीं चीन भारत से सटे इलाकों में सड़कें और सैनिकों के आने जाने के लिए जरूरी आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में जुट गया है। तस्वीर में चीन के उपकरण साफ नजर आ रहे हैं।
Simple map visualizing #China's military presence in #AksaiChin through the early months of 2021, no major changes barring the disengagement around #PangongTso, consolidation of PLA forces in support areas remains, construction activity continues undeterred #IndiaChinaFaceoff pic.twitter.com/ziIU53z6MW
— Damien Symon (@detresfa_) May 13, 2021
चीन ने भारत के साथ सैनिकों को हटाने के समझौते के बाद भी देपसांग प्लेन, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और पैंगोंग झील के पास बड़ी तादाद में सैनिक जमा कर रखे हैं। यही नहीं चीन अब देपासांग, हॉट स्प्रिंग गोगरा पोस्ट से सेना हटाने के आश्वासन से पीछे हट रहा है। भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक इसका हल होता नहीं दिख रहा है।
भारत को खतरा ‘कम’ तो हुआ लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं: नरवणे
भारत भी चीनी खतरे से पूरी तरह से वाकिफ है। थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने पिछले दिनों कहा था कि पैंगोग झील के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा ‘कम’ तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के आसपास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी। कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जतायी थी।















