पहले के लोग गेहूं को धो कर खुद मिल में पिसवाने ले जाते थे। लेकिन अब वक्त की कमी की वजह से लोग पैक्ड आटे को खरीदारी करने लगे हैं। पैक्ड आटे की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती है। इतना ही नहीं आटे में मिलावट करके इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। नकली और असली आटे की पहचान करना बहुत मुश्किल है। नकली आटा खाने की वजह से कई तरह की गंभीर समस्याएं भी जन्म ले सकती है। ऐसे में नकली आटे की पहचान करना बहुत जरूरी है। आइए बताते हैं कैसे असली और नकली आटे में फर्क कर सकते हैं।
पहला तरीका
नकली आटे की पहचान के लिए एक गिलास पानी चाहिए। सबसे पहले गिलास में पानी लें। इसके बाद इसमें आधा चम्मच आटा डालें। फिर 10 से 20 सेकंड इंतजार करें। अगर आटा पानी में तैर रहा है तो समझ जाइए कि यह नकली है। अगर वह बैठ जाए तो वो असली है।
दूसरा तरीका
रोटी बनाते वक्त भी हो सकता है। आटा को गूंथते वक्त अगर आप देखती हैं कि वो बहुत नर्म हो गया है, तो समझ जाइए कि आटा असली है। जबकि नकली आटा मुलायम नहीं होता है। उसे गूंथते वक्त काफी मेहनत करनी पड़ती है।
तीसरा तरीका
आटा गूंथते वक्त नोटिस करें कि पानी का इस्तेमाल कितना हो रहा है। नकली आटे को गूंथने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है। जबकि असली आटा जल्द गूंथ जाता है और मुलायम भी रहता है। इतना ही नहीं असली आटे की रोटियां काफी नर्म होती है। कई घंटे बाद भी यह ताजी और मुलायम रहती है। लेकिन नकली आटे की रोटी मुलायम नहीं होती है।
बता दें कि गेहूं के आटे में कई तरीकों से मिलावट की जाती है। आटे में कई बार चाक पाउडर मिला दिया जाता है। कई बार बोरिक पाउडर या मैदा मिलाकर भी बेचा जाता है। वहीं आटे में खड़िया मिट्टी की मिलावट भी की जाती है।