
-दो दर्जन के करीब मुकदमों के बाद भी अजीत सिंह के पास थे लाइसेंसी असलहे
-हिस्ट्रीशीटर की सचिवालय तक मे थी पहुंच
लखनऊ। कानपुर के चर्चित बिकरु कांड के बाद भी पुलिस और प्रशासन अपराधियों पर शिकंजा कसने के नाम पर बस खेल करने में जुटा है। इसका साफ उदाहरण राजधानी के विभूति खंड में हुए गैंगवार में निकल के आया है। मऊ से जिला बदर किया गया दो दर्जन के करीब मुकदमों में नामजद अजीत सिंह लाइसेंसी असलहा के साथ राजधानी में रह रहा था। अजीत विधायक सर्वेश सिंह की हत्या का मुख्य गवाह था। उसके पास एक बुलेट प्रूफ गाड़ी भी थी जिस पर सचिवालय का पास भी लगा हुआ था। इससे अपराधी की पहुंच और रसूखदारी साफ पता चलती है। हलांकि पुलिस के आला अधिकारियों ने इस मामले में कुछ भी कहने से साफ़ इंकार कर दिया।
दरअसल,विभूतिखण्ड थाना क्षेत्र में बीती रात खुलेआम गैंगवार में हिस्ट्रीशीटर अजीत सिंह मारा गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अजीत सिंह पर 22 मुकदमे दर्ज हैं,जिसमें से पांच मुकदमे हत्या के हैं। कुण्टू ,कुनकुन सिंह ने गिरधारी सिंह के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया था। हालांकि पुलिस सहित एसटीएफ की कई टीमें पूर्वांचल भेजी गईं हैं।
राजधानी में रह रहे पूर्वांचल से जिलाबदर किये गए कई अपराधी
पूरे यूपी में अपराधियों के खिलाफ जिलाबदर करने का अभियान चलाया जा रहा है जिसके चलते राजधानी की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। पूर्वांचल से जिलाबदर किये गए कई माफियाओं ने राजधानी में शरण ले रखी है। ये माफिया और हिस्ट्रीशीटर इतने रसूखदार हैं कि इनके आपस दर्जनों मुकदमे के बाद भी लाइसेंसी और अवैध असलहे हैं। इसके साथ ही कई बाहुबली हिस्ट्रीशीटर के पास अभी तक सचिवालय पास भी है जो किसी नेता या विधायक की सिफारिश पर बनाये गए हैं।
कमता बीएस अड्डे पर मिली खून से सनी बाइके
गैंगवार में मऊ के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की गोली मारकर हत्या के मामले में गुरुवार को कमता बस अड्डे पर पुलिस ने दो लावारिस बाइक बरामद की। माना जा रहा है कि हमलावर इन्हीं गाड़ियों से आए थे। बाइक पर खून भी लगा हुआ है। पुलिस का कहना है कि गैंगवार में मोहर सिंह की फायरिंग में एक हमलावर के सीने में भी गोली लगी थी। इसके बाद वह साथियों के साथ बाइक से भाग निकला था। इस मामले में बदमाशों की गोली से घायल मोहर सिंह की तहरीर पर तीन लोगों के खिलाफ विभूति खंड थाने में नामजद एफआइआर दर्ज की गई है।
आरोपितों में ध्रुव सिंह उर्फ कुण्टू, अखंड प्रताप सिंह और कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर शामिल हैं। पूर्व विधायक सर्वेश सिंह की हत्या मेें गवाही देने से रोकने के लिए अजीत की हत्या किए जाने का आरोप है। पुलिस बरामद बाइक की फॉरेंसिक जांच करा रही है। अजीत सिंह की गाड़ी पर सचिवालय का पास भी लगा था। सचिवालय का पास विधायक के नाम से जारी किया है, जिसे प्रमुख सचिव विधान परिषद ने जारी किया था। पुलिस आसपास के इलाके के निजी अस्पतालों में भी छानबीन कर रही है।











