बिहार चुनाव 2025: NDA की सीट शेयरिंग तय, जानें किसे मिली कितनी सीटें, एक क्लिक में पढ़ें पूरी खबर !

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा रही है और जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण भी तय होते नजर आ रहे हैं. एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर जो बातचीत महीनों से चल रही थी, अब उस पर लगभग सहमति बन गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के दौरान इस पर अंतिम मुहर लगी. हालांकि, आधिकारिक ऐलान अभी बाकी है.

जदयू को सबसे ज्यादा सीटें, भाजपा दूसरे नंबर पर

सूत्रों के अनुसार, NDA गठबंधन के तहत जदयू को 102 और भाजपा को 101 सीटें मिली हैं. इसके अलावा सहयोगी दलों में एलजेपी (रामविलास) को 20 सीटें, हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) को 10 सीटें और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 10 सीटें मिली हैं. फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि किस पार्टी को कौन-कौन सी विधानसभा सीटें मिलेंगी, लेकिन बहुत जल्द इसकी औपचारिक घोषणा संभव है.

पिछली बार से कम सीटों पर उतरेगी भाजपा और जदयू

2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 74 सीटें जीती थीं, जबकि जदयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 43 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार दोनों दल थोड़ा पीछे हटते हुए कम सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुके हैं. वहीं इस बार JDU को 102 सीटें मिली हैं. BJP के 101 सीटें आई हैं. इसका मकसद सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व देना और गठबंधन की एकता को मजबूत करना है.

NDA में नीतीश कुमार की ‘बड़े भाई’ वाली भूमिका

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने 17, जदयू ने 16, एलजेपी ने 5 और हम व आरएलएम ने 1-1 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को भाजपा से एक सीट अधिक दी गई है, जो यह दर्शाता है कि उन्हें इस बार एनडीए में राज्य स्तर पर नेतृत्वकारी भूमिका दी जा रही है. नीतीश कुमार का ‘बड़े भाई’ वाला रोल केवल सीटों के आंकड़ों में नहीं, बल्कि गठबंधन की रणनीति और अभियान संचालन में भी झलकने वाला है.

बहुमत के लिए चाहिए 122, एनडीए के पास हैं 131

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की बहुमत सीमा जरूरी है. फिलहाल एनडीए के पास 131 विधायकों का समर्थन है, जबकि विपक्ष के पास 112 सीटों का समर्थन है. यानी, चुनाव से पहले ही एनडीए संख्या बल के लिहाज से मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है.

क्या कहती है सियासी हवा?

एनडीए का यह सीट बंटवारा दर्शाता है कि गठबंधन इस बार क्लियर स्ट्रैटेजी के साथ मैदान में उतरना चाहता है, जिसमें सहयोगियों को भी जगह दी गई है और प्रमुख दलों ने कुछ कदम पीछे लेकर सहयोगी संतुलन कायम किया है. अब देखना ये होगा कि विपक्ष इस समीकरण का क्या जवाब देता है, और क्या एनडीए अपने मौजूदा संख्या बल को बनाए रख पाएगा.

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