
बैंक में आप चाहे जितनी रकम जमा कर लें, लेकिन सुरक्षा की गारंटी 5 लाख की रकम पर ही दी जाती है. यानी बैंक डूब जाए तो आपको 5 लाख रुपये तक मिल सकते हैं. पहले यह राशि 1 लाख रुपये थी जो अब बढ़ा कर 5 लाख रुपये कर दी गई है. लेकिन क्या 5 लाख की सुरक्षित राशि आपके लिए संतोषजनक है? जवाब होगा नहीं क्योंकि कोई अकाउंट होल्डर नहीं चाहेगा कि उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई यूं ही बट्टे खाते में चली जाए. ऐसे में अगर आप जमा पूंजी की गारंटी चाहते हैं तो अपनी रकम का बीमा करा सकते हैं. इसका तरीका काफी आसान है.
हालिया बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि अब बैंकों में जमा 5 लाख रुपये की राशि सुरक्षित है.
इस राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया गया. इसे आम भाषा में डिपॉजिट इंस्योरेंस कहते हैं जो कॉमर्शियल बैंक में जमा राशि पर लागू है. मौजूदा समय में रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक, सभी कॉमर्शियल और कोऑपरेटिव बैंक में जमा राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कोऑपरेशन (DICGC) के अंतर्गत इंश्योर्ड है. इस श्रेणी में प्राइमरी कोऑपरेटिव सोसाइटीज को नहीं रखा गया है. यह नियम करंट अकाउंट, सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट पर बराबर रूप से लागू होता है.
कैसे पाएं 65 लाख रुपये
इस नियम का सीधा मतलब है कि अगर आपका मूलधन 5 लाख रुपये है, तो बैंक डूबने पर आपको इतनी ही राशि मिलेगी, न कि इस पर जड़ने वाला ब्याज. अगर मूलधन और ब्याज 5 लाख या इससे कम हो, तब भी पूरा का पूरा अमाउंट मिलेगा. लेकिन क्या आपको पता है कि आप डिपॉजिट इंश्योरेंस को बढ़ाकर 65 लाख रुपये तक कर सकते हैं? मतलब बैंक डूब भी जाए तो आपको 65 लाख रुपये तक मिल सकते हैं.
ऐसे खोलें एफडी
आसान भाषा में कहें तो अगर आप किसी एक ही बैंक में अपनी पत्नी, भाई या बच्चे के साथ जॉइंट अकाउंट में फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं, किसी कंपनी के पार्टनर के तौर पर एफडी खोलते हैं, किसी नाबालिग के अभिभावक के तौर पर एफडी लेते हैं तो सभी एफडी अलग-अलग अधिकार और हैसियत के रूप में माने जाएंगे. इसमें हर अकाउंट के साथ 5 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर मिलेगा. इसे देखते हुए अपने निवेश को अलग-अलग एफडी के रूप में जमा कराना चाहिए ताकि एक ही बैंक में ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर मिल सके. यह बात सेबी के रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर कर्नल संजीव गोविला (रिटा.) ने ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ को बताई.
इस उदाहरण से समझें
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. एक परिवार में कुल छह सदस्य हैं जिनमें ए नाम के व्यक्ति की पत्नी का नाम बी है. उनके बेटे का नाम एक्स और बेटी का नाम वाई है. इसी तरह ए के माता-पिता सी और डी हैं. इस तरह ए नाम का व्यक्ति इंडिविजुअल पार्टनर, किसी कंपनी के पार्टनर, नाबालिक बेटे एक्स के अभिभावक, नाबालिग बेटी वाई के अभिभावक और किसी कंपनी के डायरेक्टर के तौर पर खाता खुलवा सकते हैं. पति-पत्नी ए और बी भी ऐसे ही खाता खुलवा सकते हैं. खाताधारक की हैसियत और अधिकार के आधार पर 13 अलग-अलग एफडी कराए जा सकते हैं. एक एफडी में 5 लाख का बीमा होगा तो कुल बीमा की राशि 65 लाख रुपये तक बन सकती है.
10 लाख की एफडी पर फायदा
गोविला बताते हैं कि कोई व्यक्ति चाहे तो किसी बैंक में 10 लाख की एफडी खोल सकता है. इसके लिए इंडिविजुअल इनवेस्टर के रूप में 2.5 लाख, अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ 2.5 लाख रुपये की जॉइंट एफडी जिसमें फर्स्ट होल्डर खुद रहें, 2.5 लाख रुपये की जॉइंट एफडी अपनी पत्नी के साथ जिसमें फर्स्ट अकाउंट होल्डर पत्नी को रख सकते हैं. इस तरह आपकी सभी एफडी अलग-अलग मानी जाएगी और सभी एफडी पर 5 लाख रुपये का इंश्योरेंस मिलेगा.