बैकफुट पर अमेरिकी राष्ट्रपति : एक हाथ में टैरिफ, दूसरे में मोहलत…आखिर क्या है ट्रंप की चीन रणनीति

नई दिल्ली:  एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के तमाम देशों पर अपना टैरिफ हंटर चलाए जा रहे हैं, दूसरा चीन को डील साइन करने के लिए मोहलत पर मोहलत देते जा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के साथ चल रही बातचीत को ध्यान में रखते हुए टैरिफ सस्पेंशन को 90 दिनों के लिए नवंबर तक बढ़ा दिया है. उनका यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बातचीत का दौर चल रहा है. ट्रंप का यह कदम न सिर्फ आर्थिक रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि अमेरिका फिलहाल चीन के साथ टकराव नहीं बल्कि समाधान की राह पर चलने में ही भलाई समझ रहा है.

ट्रंप ने चीन को क्यों दी मोहलत

राष्ट्रपति ट्रंप ने एक नया कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि उनका यह कदम चीन के साथ चल रही बातचीत को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. उन्होंने कहा कि चीन ने व्यापारिक असंतुलन को सुधारने की दिशा में कुछ अहम कदम उठाए हैं, नतीजतन अब अमेरिका को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी. यह आदेश Executive Order 14298 का विस्तार है, जिसे मई 2025 में लागू किया गया था. उस आदेश के तहत चीन पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों को 90 दिनों के लिए सस्पेंड किया गया था.

ट्रंप के टैरिफ का मुंहतोड़ जवाब दे चुका है चीन

यह अवधि 12 अगस्त 2025 को समाप्त हो रही थी, जिसे अब फिर से बढ़ाकर 10 नवंबर 2025 कर दिया गया है. इससे पहले अप्रैल 2025 में ट्रंप ने Executive Orders 14257, 14259 और 14266 के ज़रिए चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को बढ़ा दिया था, जिसकी चीन की तरफ से पुरजोर खिलाफत की गई थी और उन्होंने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए ट्रंप को जैसे का तैसा जवाब दिया था. ट्रंप ने तब कहा था कि अमेरिका का लगातार बढ़ता व्यापार घाटा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.

नए आदेश में क्या कुछ कहा गया

नए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि HTSUS (Harmonized Tariff Schedule of the United States) के तहत कुछ विशेष शुल्क दरें अब नवंबर तक सस्पेंड रहेंगी. इस आदेश को लागू करने के लिए ट्रंप ने वाणिज्य सचिव, गृह सुरक्षा सचिव, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी जरूरी कदम उठाएं. साथ ही यह भी कहा गया है कि यह आदेश किसी कानूनी अधिकार या लाभ की गारंटी नहीं देता, बल्कि यह पूरी तरह से मौजूदा कानूनों और संसाधनों की उपलब्धता के ही अधीन रहेगा.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक