भारत में सोना पहली बार 1,10,000 रुपये के पार, जानिए क्यों छू रहा है रिकॉर्ड ऊंचाई

नई दिल्ली: वैश्विक बाजारों में तेजी और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के बीच मंगलवार को घरेलू वायदा बाजार में सोने की कीमतें ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं. एमसीएक्स पर सोना वायदा दिसंबर डिलीवरी के लिए 458 रुपये की बढ़त के साथ 1,10,047 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर ट्रेड कर रहा था. इसी तरह, अक्टूबर डिलीवरी के लिए सोना वायदा 482 रुपये या 0.44 प्रतिशत बढ़कर 1,09,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया.

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदें और अमेरिका में हाल ही में जारी हुए कमजोर श्रम बाजार आंकड़े सोने की मांग को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण बने हैं. रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिगर त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिकी नौकरियों की रिपोर्ट में निराशाजनक परिणाम आने के बाद निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में और कटौती करेगा. इस कदम से डॉलर कमजोर हुआ और निवेशकों ने सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोने की ओर रुख किया.

विदेशी बाजारों में भी सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों को छू रही हैं. कॉमेक्स पर दिसंबर डिलीवरी वाला सोना वायदा बढ़कर 3,694.75 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में गिरावट और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने सोने को निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बना दिया है.

विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका में रोजगार आंकड़ों में सुधार नहीं आता और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति ढीली रहती है, तो सोने की कीमतों में और तेजी आ सकती है. वहीं, भारत में भी निवेशक सोने में निवेश के लिए उत्सुक दिखाई दे रहे हैं. आर्थिक अनिश्चितताओं और वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के बीच सोना सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में प्रमुख बना हुआ है.

इस हफ्ते सोने के बढ़ते रुझान ने निवेशकों और व्यापारियों की नजरें इस कीमती धातु पर और मजबूत कर दी हैं. घरेलू बाजार में भी मांग बढ़ने के कारण वायदा बाजार में कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना जताई जा रही है.

सोने की कीमतों में यह रिकॉर्ड वृद्धि न केवल निवेशकों के लिए बल्कि ज्वेलरी और अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक डेटा और फेडरल रिजर्व की नीतियों की दिशा इस कीमती धातु की कीमतों को प्रभावित करती रहेंगी.

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