
कानपुर के घाटमपुर में अनियंत्रित ऑटो खड्ड में पलटने से ऑटो सवार जियापुर गांव के तीन मजदूरों की मौत हो गई थी, पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचे तो मातम छा गया। यहां गांव से एकसाथ तीन अर्थी उठी तो सभी की आंखे नम हो गई। चचेरे भाई समेत तीन मजदूरों की मौत से परिजन बेहाल है। सभी रो रोकर यह कह रहे है, कि उनके परिवार का सहारा छीन गया है। अब वह अपने परिवार का कैसे भरण पोषण करेंगे। तीनों मजदूर गरीब परिवार से है।

कानपुर के जियापुर गांव से दैनिक भास्कर रिपोर्टर की ग्राउंड रिपोर्ट…
कानपुर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जियापुर गांव दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। यहां पर हम सड़क हादसे में जान गवाने वाले श्री पाल के घर पर पहुंचे। गांव में झोपडी नुआ बने घर के बाहर कुछ महिलाएं बैठे रो रही थी। इसी बीच श्री पाल की पत्नी सुनीता तेज तेज से रोने लगी। संगीता ने हमे बताया कि श्री पाल कह कर गए थे, कि वह जल्दी वापस आएंगे, अगर उन्हें पता होता तो वह उन्हें रिश्तेदारी में आयोजित शादी समारोह में शामिल होने न जाने देती। वह रो रोकर कहती है, कि श्री पाल की मौत के बाद से उनके नौ बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। अब कैसे वह कैसे उनका भरण पोषण करेंगी। मां को बच्चे दिलासा दे रहे थे, कि हम है। सब ऊपर वाले के भरोसे छोड़ेंगे। उसी ने बिगड़ा है, तो वहीं बनाएगा।

इसके बाद हम नरेंद्र के घर पर पहुंचे, घर के दरवाजे बंद थे, बगल में रोड पर मृतक नरेंद्र की पत्नी मंजू पड़ोस की कुछ महिलाओं के साथ बैठी थी, पड़ोस की महिलाएं उसे सांत्वना दे रही थी, मंजू ने हमें बताया कि उनके पति ने गांव के रहने वाले रामकिशोर से दो बीघा गेहूं काटने का ठेके लिया था। वह उससे कहकर गए थे, कि वह बारात से रात में वापस आ जाएंगे, इसके बाद सुबह जल्दी गेहूं काटने चलेंगे। लेकिन वह वापस गांव लौटते, इससे पहले उनकी मौत की खबर आ गई। वह अपने 10 वर्षीय बेटे के साथ सरकार से कुछ मदद मिलने की आस लगाए बैठी है। इसके बाद हम मृतक धर्मेन्द्र के घर पर पहुंचे। घर के बाहर बरामदे में धर्मेंद्र की पत्नी संगीता अपने बेटे आर्यन , रियांश, बेटी वैष्णवी के साथ बेसुध हालत में बैठी थी, साथ बैठी महिलाएं उसे समझा रही थी, संगीता ने बताया कि उनकी पति से फोनपर बात हुई थी, उन्होंने बताया था, कि वह बारात से वापस लौट रहे है। जल्द घर आ जाएंगे। लेकिन उनकी मौत की खबर घर आईं। तीनों परिवार गरीब है। तीनों मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। तीनों की मौत के बाद से तीनों के परिवार बेसहारा हो गए है। तीनों मजदूरों के शव का अंतिम संस्कार शुक्रवार को यमुना नदी किनारे स्थित रामपुर घाट में हुआ।

घरों में नहीं जले चूल्हे, पसरा पड़ा सन्नाटा

एक ही गांव में तीन मजदूरों की मौत के बाद से गांव के घरों में चूल्हे नहीं जले है। गांव में मातम छाया हुआ है। गांव की गलियों में हर तरफ सन्नाटा दिखाई दे रहा है। यहां पर पहले गलियों में बच्चे खेल कूदा करते थे, गलियों के बाहर दोपहर में लोग चारपाई डालकर पेड़ो की छांव में आराम करते थे। तीन मौत के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। बच्चे घरों में दुबके है।