मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए लागू किया जाए केंद्रीय कानून: महंत रामशरण दास

भास्कर समाचार सेवा

संचालन वापस ब्राह्मण व संत समाज को सौंपने की मांग

हरिद्वार। करोडी ध्वज मंदिर अनादरा से पधारे अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के सचिव महंत रामशरण दास महाराज ने कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी पहुंचकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया और उनसे देशभर में राज्य एवं केंद्र सरकारों की ओर से अधिग्रहण किए गए मठ मंदिरों की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाने का आह्वान किया। वार्ता के दौरान महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि संपूर्ण भारत वर्ष में लाखों की संख्या में राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से लाखों हिंदू मठ मंदिर अधिग्रहित किए गए हैं। जिनके संचालन की व्यवस्था सरकार के पास है। मात्र हिंदू मठ मंदिरों को अधिग्रहण करना सरकारों का सनातन विरोधी निर्णय है।

कर्नाटक सरकार के अधिग्रहित मठ मंदिरों को मुक्त करने के फैसले और उत्तराखंड सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड भंग करने के फैसले का अनुसरण करते हुए सभी राज्य सरकारों को मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करना चाहिए और उनके संचालन की व्यवस्था वापस ब्राह्मण एवं संत समाज को सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि धर्म स्थलों का संचालन धर्माचार्य सही रूप से कर सकते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस प्रकरण पर ध्यान देकर मठ मंदिर मुक्ति कानून बनाना चाहिए। संत समाज केंद्र सरकार से मांग करता है कि मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए समाज हित में केंद्र सरकार को एक कड़ा केंद्रीय कानून बना कर संतों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और देश भर के समस्त मठ मंदिर आश्रम को अधिग्रहण से मुक्त करना चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार यदि जल्द ही मठ मंदिर मुक्ति कानून नहीं बनाती है तो संत समाज आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।

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