मणिकर्णिका घाट की छत पर शवदाह, वरुणा नदी का पाटा भी उफनाया; प्रशासन अलर्ट मोड में

वाराणसी । पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के कारण गंगा नदी उफान पर है। बाढ़ का पानी अब तटवर्ती इलाकों को पार कर ग्रामीण क्षेत्रों में घुसने लगा है। इससे सराय मोहना, रामचंदीपुर, मोकलपुर और आस-पास के गांवों में खेतों में खड़ी फसलें खतरे में आ गई हैं। किसानों की चिंता गहराने लगी है क्योंकि सैकड़ों बीघा में खड़ी सब्जियों और धान की फसलें डूबने की कगार पर हैं। शहरी क्षेत्र भी बाढ़ के खतरे से अछूते नहीं हैं। रमना, सामनेघाट और अन्य निचले इलाकों में रह रहे लोगों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। अस्सी घाट पर गंगा आरती का पारंपरिक स्थल जलमग्न हो गया है। अब आरती ‘सुबह-ए-बनारस’ मंच के पास आयोजित की जा रही है। दशाश्वमेध घाट पर बाढ़ का पानी जल पुलिस के कार्यालय तक पहुंच गया है।

जलस्तर में तेज बढ़ोतरी

केन्द्रीय जल आयोग के बाढ़ बुलेटिन के अनुसार मंगलवार सुबह 8 बजे तक गंगा का जलस्तर 68.42 मीटर दर्ज किया गया, जो प्रतिघंटा लगभग चार सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है। पिछले 24 घंटों में जलस्तर में 70 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। गाजीपुर, बलिया, फाफामऊ और प्रयागराज में भी यही स्थिति बनी हुई है। हालांकि आजमगढ़ की छोटी सरयू और जौनपुर की गोमती नदी का जलस्तर फिलहाल स्थिर है।

—घाटों पर संकट: शवदाह में भी परेशानी

गंगा के बढ़ते जलस्तर से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। हरिश्चंद्र घाट की गालियों में अब शवदाह किया जा रहा है, जबकि मणिकर्णिका घाट की छत तक शवदाह का स्थान पहुंच गया है और अब वहां भी जगह कम पड़ने लगी है। वरुणा नदी का जलस्तर भी गंगा के पलट प्रवाह के कारण अपने पाटों से बाहर आ गया है। पुराना पुल भट्टा कोना क्षेत्र में नालों के माध्यम से पानी घरों तक घुस गया है।

—प्रशासन मुस्तैद, नियंत्रण कक्ष सक्रिय

बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 24×7 बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है। किसी भी आपात स्थिति में नागरिक इन दूरभाष नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं:

फोन नंबर 0542-2508550, 0542-2504170

बाढ़ नियंत्रण कक्ष में शिफ्टवार अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की गई है। एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान मोटरबोट से लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं ताकि किसी भी आपदा स्थिति से समय रहते निपटा जा सके।

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