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नई दिल्ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सैंपी गई है। उस रिपोर्ट में सूचित किया गया है कि, प्रयागराज में महाकुंभ के समय कई सारे स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए अच्छा नहीं है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की सीमा ज्यादा बताई गई है। इसकी स्वीकार्य सीमा 2500 यूनिट प्रति 100 एमएल है।
इस पर एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ का कहना है कि, सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनो ंकी तरफ इशारा किया गया था।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि, नदी के पानी की गुणवत्ता अलग अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर भी अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंधित स्नान करने के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। प्रयागराज में महाकुंभ के समय बड़ी संख्या में लोग नदी में नहाने करते हैं, जिससे अपशिष्ट जल की सांद्रता में बढ़ोतरी होती है। पीठ ने आगे कहा है कि, उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए एनजीटी के पूर्व निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। एनजीटी ने आगे कहा कि, यूपीपीसीबी ने सिर्फ कुछ जल परीक्षण रिपोर्ट के साथ एक पत्र दाखिल किया था।
एनजीटी की तरफ से कितने दिन का मिला समय?
पीठ ने कहा है कि, यूपीपीसीबी के केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी की तरफ से भेजे गए 28 जनवरी के पत्र के साथ ही संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी ये पता चलता है। अलग-अलग स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर भी पाया गया है।