-चीनी, डेयरी, सैचुरेटेड फैट्स और कैफीन से करे परहेज
नई दिल्ली (ईएमएस)। एक व्यक्ति की डाइट प्राकृतिक तरीके से गर्भ धारण करने में मदद कर सकती है या उसे प्रभावित भी कर सकती है। एक ऐसी डाइट जिसमें चीनी, डेयरी, सैचुरेटेड फैट्स और कैफीन शामिल है, वो महिलाओं में कमज़ोर फर्टिलिटी का कारण बनती है। साल 2018 के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।अध्ययन में कहा गया है कि कई बार जिन फूड्स को पोषण से भरपूर माना जाता है, वे फर्टिलिटी के लिए सही साबित नहीं होते। ऐसे में अगर आप गर्भ धारण करना चाह रही हैं, तो अपनी डाइट पर भी ध्यान दें। चावल और मैदे जैसे धीमे या खराब कार्बोहाइड्रेट की जगह कीनुआ और गेंहू के आटे जैसे धीरे पचने वाले या कॉमप्लेक्स कार्ब्स को चुनें। कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स से कैल्शियम मिलता है और आंतों के बैक्टीरिया जो फायदेमंद होते हैं, लेकिन साथ ही इसमें टेस्टोस्टेरोन जैसे एंड्रोजन भी होते हैं। ज़रूरत से ज़्यादा टेस्टोस्टेरोन सेहत को नुकसान पहुंचाते है। स्किम्ड मिल्क आपकी फर्टिलिटी को कम करता है, इसलिए फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को ही चुनें।
एस्पार्टेम एक सामान्य रसायन है, जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने और उन्हें मीठा करने के लिए किया जाता है, जो डीएनए प्रतिकृति को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जिन चीज़ों में यह होता है, उनसे दूर रहने की ज़रूरत है, खासतौर पर शुगर-फ्री फूड्स। ट्रांस वसा रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जो आपके प्रजनन अंगों तक महत्वपूर्ण पोषक तत्व ले जाते हैं। किसी भी तरह का तला हुआ खाना ट्रांस फैट होता है। इसके अलावा आलू के चिप्स, माइक्रोवेव में बनाए गए पॉपकॉर्न में भी होता है। एक शोध के मुताबिक, जो महिलाएं उच्च कीटनाशक वाले फूड्स के संपर्क में आती हैं, उनमें गर्भवती होने की संभावना दूसरी महिलाओं की तुलना 26 प्रतिशत कम हो जाती है। कीटनाशकों से बचने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा ऑर्गैनिक फल और सब्ज़ियों का ही सेवन करें।
साथ बी ऐसी चीज़ें खाएं जिनमें कीटनाशकों का इस्तेमाल कम होता है, जैसे अनानास, पत्ता गोभी, स्वीट कॉर्न, पपीता, एवोकाडो और प्याज़।अगर आप गर्भ धारण की कोशिश कर रहे हैं, तो ज़रूरी है कि ऐसे सूफीड कम खाएं, जिनमें मर्क्यूरी की मात्रा काफी होती है। स्वॉर्डफिश, अही टूना, बिगेय टूना और किंग मार्केल जैसे मछलियों में मर्क्यूरी का स्तर काफी ज़्यादा होता है। इसकी जगह आप सालमन खा सकते हैं, जिसमें मर्क्यूरी का स्तर कम और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और प्रोटीन ज़्यादा होते हैं।