महिला ने घटा लिया 141 किलो वजन, लेकिन अब बन आई जान पर, जानिए कैसे…

-कैल्सिफिलैक्सिस नामक बीमारी की चपेट में आ गईं महिला

वॉशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिका की एक फिटनेस इन्फ्लूएंसर ने फिट होने की चाहत में अपना 141 किलो घटा वजन लिया, लेकिन उनके इस जुनून के चलते जान पर बन आई। इंडियाना की रहने वाली 33 वर्षीय लेक्‍सी रीड मशहूर फिटनेस इन्फ्लूएंसर हैं। जब लेक्‍सी 31 साल की थीं तो उनका वजन 217 किलोग्राम हुआ करता था।
फिर फिट होने की ऐसी चाहत उठी कि उन्‍होंने दो साल के अंदर अपना वजन 141 किलो घटा लिया। 2016 में जब ये खबर दुनिया के सामने आई कि एक लड़की ने अपना वजन 141 किलो घटा लिया है, तो हंगामा मच गया। लोग उनकी जमकर तरीफ करते नजर आए। उनके वीडियोज देखकर फॉलो करने लगे।लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनकी हालत खराब होने लगी। लेक्‍सी के अंगों ने काम करना बंद कर दिया, और एक दिन वे कोमा में चली गईं। डॉक्‍टरों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर समय पर उन्‍हें अस्‍पताल न लाया जाता तो मौत हो चुकी होती।उनके पति डैनी ने लोगों से दुआ करने की अपील तक की।

डॉक्‍टरों ने उनके इस हालत में पहुंचने की वजह भी बताई। कहा-वजन घटाने के लिए लेक्‍सी ने जो तरीका अपनाया, उससे वे कैल्सिफिलैक्सिस नामक बीमारी की चपेट में आ गईं। कैल्सीफिलेक्सिस इंफेक्‍शन के कारण उनकी त्वचा ढीली पड़ गई।नसें सूख गईं।शरीर पर 30 से ज्‍यादा दर्दनाक घाव बन गए। ऐसा लग रहा था कि उनकी त्‍वचा हड्ड‍ियों में चिपकती जा रही है।यह एक ऐसी बीमारी थी, जिसमें 80 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है।लेक्‍सी 59 हफ्ते तक अस्‍पताल में रहीं।लेकिन मौत से हार नहीं मानी। बातचीत में लेक्‍सी ने कहा, एक वक्‍त तो लगा कि मैं मर जाउंगी।क्‍योंकि शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे। छोटी रक्त वाहिकाओं में कैल्‍श‍ियम जमा हो गया था, जो खून का बहाव रोक रहा था।

असहनीय दर्द हो रहा था।लेकिन एक वक्‍त आया जब मुझे लगा कि मैं इससे निपट लूंगी।इससे लड़ने के लिए ताकत पाई।और मैंने करके दिखाया।इतनी गंभीर बीमारी को मात देते हुए लेक्‍सी रीड ने दुनिया को बताया कि जीने की ललक हो तो कुछ भी संभव है।हाल ही में उन्‍होंने अपने इंस्‍टाग्राम पेज पर एक वीडियो शेयर किया और अपने शरीर को दिखाया। बताया कि तमाम विषमताओं के बावजूद वे यह जंग जीतने में सफल रहीं।उनका वजन पहले के मुकाबले 45 किलो तक कम हो गया है।लेक्‍सी ने कहा, यह तस्वीर न केवल मेरे द्वारा घटाए गए वजन को दर्शाती है, बल्कि जीने की लड़ाई को दिखाती है।

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