महिला बोली- ‘सेक्स नहीं करता पति, सिर्फ मंदिर जाता है’…कोर्ट ने सुनाया ये फैसला; जानें पूरा मामल

Kerla High court Judgement: केरल हाई कोर्ट में एक तलाक के मामले में सुनवाई के दौरान, एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया कि वह न तो सेक्स में रुचि रखता था और न ही बच्चे पैदा करने में. महिला ने बताया कि उसके पति का समय सिर्फ मंदिरों और आश्रमों में बीतता था और वह उसे भी अपनी तरह आध्यात्मिक बनाने की कोशिश करता था. पत्नी का कहना था कि उनके पति का ध्यान सिर्फ धार्मिक गतिविधियों पर था, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ गया था. 

महिला ने इस मामले में दायर की गई याचिका में कहा कि शादी के बाद से ही पति का व्यवहार बदल गया था और वह उसे अपनी तरह का आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए मजबूर करता था. उसने यह भी आरोप लगाया कि पति ने उसे पढ़ाई करने से रोका था. इसके बाद महिला ने 2019 में तलाक के लिए कोर्ट का रुख किया था, लेकिन पति ने वादा किया कि वह अपने व्यवहार में सुधार करेगा, इसलिए उसने याचिका वापस ले ली.  

महिला ने दायर की थी तलाक अर्जी

हालांकि, 2022 में महिला ने फिर से तलाक के लिए याचिका दायर की, यह कहते हुए कि पति का व्यवहार जस का तस था. फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका पर विचार करते हुए तलाक का आदेश दिया. इसके बाद पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, यह दावा करते हुए कि उसकी आध्यात्मिक प्रथाओं को गलत समझा गया है और पत्नी को ही अपनी पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने से पहले बच्चे नहीं पैदा करने का निर्णय लिया था.

हाईकोर्ट ने महिला की अर्जी पर क्या कहा?

हाई कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस देवन रामचंद्रन और एमबी स्नेलता शामिल थे, ने फैसले में कहा कि कोई भी जीवनसाथी दूसरे के व्यक्तिगत मान्यताओं को बदलने या उस पर दबाव डालने का अधिकार नहीं रखता. कोर्ट ने यह भी कहा कि पति का अपनी पत्नी को आध्यात्मिक जीवन जीने पर मजबूर करना मानसिक क्रूरता का उदाहरण है. अदालत ने माना कि यह पति का पारिवारिक जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करने और वैवाहिक कर्तव्यों को न निभाने का संकेत है. 

इस फैसले के बाद, कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को बरकरार रखा, जिससे महिला और उसके पति के बीच तलाक की प्रक्रिया पूरी हो गई. कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला के दावे में कोई झूठ नहीं था और उसे तलाक देने का निर्णय सही था.

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