मांग में सिंदूर, बगल में शहीद पति की लाश …इस तस्‍वीर का दर्द शब्‍दों से नहीं हो सकता बयां

पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक तस्वीर आई जिसने सबको ग़मगीन कर दिया. ये तस्वीर देखकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा. इस तस्वीर में एक लड़की हाथ में लाल चूड़ा पहने अपने पति के शव के पास बैठी थी. वह चुपचाप शव को पथराई आंखों से देख रही थी. मानो उस नवविवाहित लड़की को लग रहा हो कि इस आतंकी हमले ने सबकुछ एक झटके में छीन लिया. उसकी मात्र 6 दिन पहले ही लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के साथ शादी हुई थी.

पहलगाम की वादियां, जो अमूमन प्रेम और सुकून की गवाही देती है. अचानक 22 अप्रैल को दोपहर के तीन बजे चीख उठीं. फूलों से सजी घाटियों में बारूद की गंध फैल गई. गोलियों की आवाज़ों ने हंसी-खुशी की आवाजों को निगल लिया. इस आतंकी की वजह से पूरे देश भर के लोगों की रगों में ग़ुस्सा दौड़ रहा है, लेकिन उस एक महिला की आंखों में सिर्फ़ एक सवाल है “अब आगे क्या?” वो जिसने अभी जीवन का पहला पग फेरा था, अब जीवन की सबसे भारी रात से गुजर रही है. 

एक झटके में उजड़ गई दुनिया

नई-नवेली दुल्हन, जिसने चंद दिन पहले ही अपने जीवन का सबसे खूबसूरत सपना बुना था. अब उसी सपने के उजड़े हुए मलबे के पास पथराई आंखों से बैठी थी. अब उसका साथी और हमसफ़र विनय नरवाल अब दुनिया ने नहीं रहा. वह आतंकियों की गोली का शिकार हो गया. ऐसा लगा मानो एक ही झटके में उसकी पूरी दुनिया उजड़ गई.

शुरू होते ही खत्म हुई प्रेम कहानी

वह शांत होकर अपने पति के शव के पास चुपचाप बैठी थी. उसके चेहरे पर आंसू नहीं थे. शायद आंसू भी अब खुद को बेमानी महसूस कर रहे थे. बस एक गहरी, चुप्प सी पीड़ा थी, जैसे वक्त ने थमकर उसका दिल चीर दिया हो. उसका हाथ धीरे-धीरे विनय के सिर के पास रखा था, जैसे उसे जगाने की एक आखिरी कोशिश कर रही हो “उठो विनय… देखो, हमारी कहानी अभी तो शुरू हुई थी…” 

मेरा अपराध क्या था?

शादी की तस्वीरें अब फ़्रेम में नहीं, यादों में क़ैद हो गईं. हनीमून का सपना जो एक जोड़ी आंखों में चमक रहा था, अब उन्हीं आंखों में बुझ चुका था. वो सोच रही थी कि क्या मेरा कसूर सिर्फ़ इतना था कि मैंने प्यार किया? कि मैंने भरोसा किया इस देश के सपनों पर? किससे पूछूं कि मेरा अपराध क्या था?

यादें बनेगी ताक़त

ये हमला सिर्फ़ एक सैन्य अफसर पर नहीं था, ये हमला प्रेम पर था, विश्वास पर था, उस हर सपने पर था जो हर जोड़ा अपने भविष्य के लिए देखता है. और अब, उस तस्वीर में, एक औरत बैठी है, स्तब्ध, टूटी, मगर मजबूत जैसे कह रही हो, “तुमने मेरी कहानी अधूरी कर दी, पर मैं तुम्हारी यादों को अपनी ताक़त बना लूंगी.” इस देश ने एक बहादुर अफसर खोया है. और उस औरत ने खोया है अपना आज, अपना कल और शायद अपनी मुस्कुराहट भी.

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