माउंट एवरेस्ट : दुनिया की सबसे महंगी चढ़ाई…लाखों का खर्च और जान का जोखिम, पढ़ें ये रिपोर्ट

-नेपाल सरकार ने चढ़ाई के लिए जारी परमिट की फीस 35 फीसदी बढ़ाई

नई दिल्‍ली । दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्‍ट पर चढ़ाई करने का जुनून दुनियाभर के पर्वतारोहियों को होता है। इस चोटी तक पहुंचना जितना मुश्किल है, उतना ही महंगा भी है। इस एवरेस्‍ट पर चढ़ने के दो रास्‍ते हैं, लेकिन ज्‍यादातर लोग नेपाल का रास्‍ता चुनते हैं। दूसरा रूट तिब्‍बत है, जो चीन के कब्‍जे में है। यही वजह है कि ज्‍यादातर लोग नेपाल के रास्‍ते से चढ़ाई करते हैं। नेपाल सरकार ने पिछले दिनों एवरेस्‍ट पर चढ़ाई के लिए जारी होने वाले परमिट का शुल्‍क 35 फीसदी बढ़ा दी है। इस चढ़ाई के लिए परमिट की फीस के अलावा गाइड, उपकरण और लॉजिस्टिक्‍स का खर्चा भी आता है। हर पर्वतारोही को चढ़ाई से पहले प्रशिक्षण लेना और खुद का बीमा कराना भी जरूरी होता है। इन सभी खर्चों को जोड़कर प्रति व्‍यक्ति के लिए चढ़ाई करना काफी खर्चीला हो जाता है।

एवरेस्‍ट पर चढ़ाई के लिए अगर कोई नेपाल का रास्‍ता चुनता है तो 45 से 90 हजार डॉलर का खर्चा आता है, जो भारतीय रुपए में 38 से 78 लाख रुपए होगा। उत्‍तरी छोर यानी तिब्‍बत के रास्‍ते से एवरेस्‍ट पर चढ़ने वालों को करीब 35 से 50 हजार डॉलर यानी करीब 30 से 43 लाख रुपए खर्च करने होंगे। माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का खर्च भारतीयों के लिए भी अन्य विदेशी पर्वतारोहियों के समान है, क्योंकि नेपाल सरकार ने परमिट शुल्क में रियायत केवल नेपाली नागरिकों को दी है। भारतीयों को विदेशी श्रेणी में ही रखा जाता है।

साल 2025 में नेपाल सरकार ने परमिट शुल्क में 35 फीसदी की वृद्धि के बाद भारतीय पर्वतारोहियों के लिए खर्च का अनुमान करीब 5 से 10 लाख रुपए बढ़ गया है। एवरेस्‍ट की चढ़ाई में प्रमुख खर्च नेपाल सरकार से परमिट लेने में आता है, जो करीब 9.5 लाख रुपए होता है। यह पैसा नेपाल के पर्यावरण और पर्वतारोही नियामक को जाता है। इसके अलावा लियाजन ऑफिसर और कचरा प्रबंधन के लिए 2 से 2.5 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। शेरपा और गाइड की सेवाओं के लिए 4 से 17 लाख रुपए तक खर्चा आता है। शेरपा सामान ढोते हैं और रास्‍ता दिखाते हैं।

एवरेस्‍ट पर चढ़ने के लिए जितना जरूरी गाइड और शेरपा हैं, उतना ही जरूरी उपकरण भी हैं। इसमें बूट, क्रैम्पन, जैकेट, स्लीपिंग बैग जिस पर 3 से 5 लाख का खर्च आता है। 4 से 6 सिलेंडर तक बोतलबंद ऑक्सीजन जिस पर 2 से 3 लाख रुपए खर्च होते हैं। टेंट और अन्य सामान पर 1 से 2 लाख खर्च होते हैं। भारत से काठमांडू तक फ्लाइट टिकट 15,000 से 30,000 रुपये आता है। काठमांडू से लुकला तक फ्लाइट और ट्रांसपोर्ट 20,000 से 40,000 खर्च होंगे। बेस कैंप तक ट्रेकिंग भोजन, पोर्टर और लॉज के लिए 2 से 5 लाख रुपए खर्च होते हैं।

काठमांडू में तैयारियों के लिए रुकने पर 50 हजार तक खर्चा आ सकता है। पर्वतारोहण प्रशिक्षण के लिए भी 50 हजार से 1.5 लाख रुपए तक खर्च किए जाते हैं। हाई एल्टिट्यूड का बीमा प्रीमियम 1 से 2 लाख रुपए लगता है। पूरे रास्‍ते में खाने और कैंप के लिए 1 से 2 लाख रुपए का खर्च आता है। इन सभी खर्चों के अलावा 2 से 5 लाख रुपए तक इमरजेंसी फंड भी रखना होता है।

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