मुंह, गला, फेफड़े और भोजन नली के कैंसर का बढा खतरा

नई दिल्ली। धूम्रपान, गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पाद न केवल लत पैदा करते हैं, बल्कि लंबे समय में कैंसर सहित कई घातक बीमारियों का कारण बनते हैं। हाल के स्वास्थ्य सर्वे बताते हैं कि तंबाकू का उपयोग करने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे मुंह, गला, फेफड़े और भोजन नली के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ गया है। डॉक्टरों के अनुसार, तंबाकू में मौजूद निकोटीन दिमाग के रिवार्ड सिस्टम को प्रभावित कर लत पैदा करता है। एक बार आदत लगने के बाद इसे छोड़ना बेहद कठिन हो जाता है। खासतौर पर 18 से 30 साल के युवा इस लत का तेजी से शिकार हो रहे हैं। यह न केवल कैंसर का खतरा बढ़ाता है बल्कि हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों की बीमारी और इम्यून सिस्टम को कमजोर करने जैसी समस्याएं भी पैदा करता है।

अध्ययनों से पता चला है कि तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में मुंह और गले के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। गुटखा और पान मसाले में मौजूद रसायन मसूड़ों और जीभ की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लगातार चेतावनी दे रहा है कि तंबाकू हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान लेता है। भारत में भी इसकी वजह से हर साल करीब 13 लाख मौतें होती हैं।

इसके बावजूद तंबाकू कंपनियों के आक्रामक प्रचार और सामाजिक दबाव के कारण युवा इसके सेवन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि तंबाकू की लत से बचाव के लिए जागरूकता अभियान, स्कूल-कॉलेज स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा और सख्त कानूनी नियंत्रण की आवश्यकता है। साथ ही, परिवार और दोस्तों को भी युवा पीढ़ी को इस घातक आदत से दूर रखने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। तंबाकू से होने वाला नुकसान धीरे-धीरे सामने आता है, इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है।

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