मुस्लिम लड़के ने इस हिंदू लड़की से की 4 बार शादी, वजह इमोशनल करने वाली

आज एक ऐसी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जो दो दिलों के बेपनाह मोहब्‍बत करने वालों की है। लेकिन ये कहानी आम नहीं बल्कि खास है क्‍योंकि इन मोहब्‍बत करने वाले को समाज एक नहीं होने दे रहा। दरअसल हम बात कर रहे हैं फैज़ और अंकिता की अब तो आप समझ गए होंगे कि इन्‍हें एक होने में क्‍या समस्‍या आ रही होगी। जैसा कि नाम से ही समझ में आ रहा है कि लड़का मुसलमान और लड़की हिंदू है, तो अब आप ही बताइए भला कोई कैसे इस शादी के लिए राजी हो सकता था। लेकिन फिर भी लड़का और लड़की एक-दूसरे को अपना मान चुके थे और वो पीछे नहीं हटने वालों मे से नहीं थे फिर क्या था उन्‍हें कोई नहीं रोक सकता था?

दरअसल अंकिता के पिता को लगता था कि मुसलमान चार-चार शादियां करते हैं और इसी डर से वो अपनी बेटी का हाथ फैज के हाथ में नहीं देना चाहते थें। तो आइए बताते हैं कि कैसे हुई इस जोड़े की शादी? आईएएम इंदौर में फैज़ और अंकिता जब पहली बार मिले थें और इस पहली मुलाकात में ही उन्‍हें प्यार हो गया। अंकिता का कहना है, कि ‘प्यार कोई वजह, रंग, या फिर जाति नहीं देखता बस अगर कुछ मायने रखता है तो वो यह है कि सामने वाला जो इन्सान है वो भरोसेमंद है या नहीं।’ वैसे तो इस जोड़े का शादी करना बिल्कुल भी आसान नहीं था।

लड़की के मां-बाप शादी के लिए राज़ी नहीं थे इसलिए अंकिता को उन्‍हें मनाने में 2 साल लग गए लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे। अंकिता ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि, ‘दो साल से कोशिश करने के बावजूद हम नाकाम रहे तब तय किया गया कि अब टेस्ट मैच नहीं बल्कि टी-20 मैच खेलना होगा। तभी अचानक घर की डोरबेल बजी जब अंकिता के पिता ने दरवाज़ा खोला सामने फैज़ खड़ा था। सब हैरान थें मां गुस्से से लाल थी और पापा शांत होकर अंदर चले गए और फिर कपड़े बदलकर बाहर आए। मैं एकदम डर सी गई थी।

तब फैज़ ने अपनी समझदारी दिखाई और एक लंबा भाषण देना शुरू किया फैज ने पापा से कहा कि वो अपना धर्म नहीं बदलेगा और न ही नाम बदलेगा। न ही वो उनकी बेटी को मीट खिलाने के लिए दबाव डालेगा, उसे उसकी संस्कृति के मुताबिक ही रखेगा, न ही मुझे बुर्का पहनाएगा। उसने सोचा इससे पापा का सारा शक दूर हो जाएगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि मेरे पापा ने फैज को सम्मान के साथ घर से निकल जाने को बोल दिया और कहा अगर हम शादी करते हैं तो वो उनकी शादी में शामिल नहीं होंगे। ’

पहली शादी

फिर इन दोनों ने फैसला लिया और 18 फ़रवरी 2015 को कोर्ट मैरिज करने का सोचा और उस कानून के तहत शादी करने को कहा जो मुस्लिम को चार शादी करने की इजाजत नहीं देता। इसी के साथ ही एक ज्योतिषी से अपनी कुंडली मिलाने को मीटिंग की ताकि कम से कम मम्मी को मना लिया जाए लेकिन शायद किस्‍मत को कुछ और ही मंजूर था। इसके बाद दोनों ने अपने घर पर अपनी शादी के बारे में सूचना दे दी। फैज के पिता ने तुरंत लखनऊ से मुंबई का टिकट बुक करा लिया।

14 फ़रवरी जब अंकिता की मां का फोन आता है तो वो कहती है कि 18 फ़रवरी को अमावस्या है और वो दिन शादी के लिए सही नहीं। शादी में मात्र चार दिन ही बचे थे। मेरे पापा, मम्मी और भाई को शादी के लिए भेजने को राज़ी हो गए थे लेकिन उन्होंने कहा कि वो खुद नहीं आएंगे। फिर अमावस्या से बचने के लिए शादी 17 फ़रवरी की शाम को ही करना पड़ा और ये शादी छोटे से राम मंदिर में हुई।

दूसरी शादी

अंकिता के ससुर आने वाले थे समझ नहीं आ रहा था कि सलाम अलेकुम करे या फिर नमस्ते लेकिन जब वो आए ऐसा कोई बात ही नहीं रहा। बल्कि उन्होंने गले से लगा लिया। हंसी मज़ाक हुआ और फिर कोर्ट में कागजों पर साइन हुए ये दूसरी शादी थी कानूनी शादी।

तीसरी शादी

कोर्ट में शादी हुए एक महीना हो गया था लेकिन हम अपने रिश्ते को एग्रीमेंट में बांधकर नहीं रखना चाहते थे। हम शादी का उत्सव मनाना चाहते थे। फिर मेहंदी की भी रस्म हुई, संगीत की भी महफ़िल सजी ये सब निकाह की तैयारी के लिए था। निकाह करते समय अंकिता को लगा कि काज़ी आकर उससे रजामंदी लेगा कि अंकिता तुम्हें ये निकाह कुबूल है। लेकिन क़ाज़ी साहब आए और कागज़ पर साइन ले लिए। परदे को लेकर थोड़ा क़ाज़ी साहब नाराज़ दिखे लेकिन बाद में राज़ी हो गए और निकाह हो गया ‘जी क़ुबूल है।’

चौथी शादी

अपनी शादी को सेलिब्रेट करने वो गोवा पहुंच गए। वहां पूरा सेटअप तैयार किया गया था। लड़कियों के लिए सलवार कुर्ता और अनारकली ड्रेस कोड रखा गया, जबकि लड़कों के लिए कुर्ता पयजामा था। वहां ढोल के साथ दूल्हे की एंट्री हुई दूल्हा घोड़ी चढ़कर नहीं स्कूटर पर सवार होकर आया। खूब मस्‍ती हुआ फिर गोवा के बीच पर सात फेरे लिए गए और इस तरह चारों शादियां पूरी हुई।

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