
राजेश खन्ना शुरुआत से ही काफी अलग किस्म के इंसान थे. उनकी परवरिश काफी अमीर फैमिली में हुई थी. कहा जाता है कि खन्ना प्रोड्यूसर से काम मांगने भी जाते तो काफी महंगी गाड़ियों में जाते थे. उनमें एक स्वाभाविक दंभ था जो सफलता मिलने के बाद अपने चरम पर पहुंच गया. खन्ना की इस फितरत का पता अमिताभ बच्चन को पहली मुलाक़ात में ही चल गया, जब खन्ना ने ये कहकर अमिताभ से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया कि वो अजनबियों से हाथ नहीं मिलाते.
अमिताभ उन दिनों स्ट्रगल कर रहे थे और स्टूडियो दर स्टूडियो भटक रहे थे. उनको काम दिलवाने का जिम्मा सुनील दत्त के सेक्रेटरी राज ग्रोवर को नर्गिस ने सौंपा था. एक दिन ग्रोवर अमिताभ को निर्देशक मोहन सहगल से मिलवाने रूप तारा स्टूडियो लेकर गया. सहगल बिजी थे इसलिए उन्होंने दोनों को इंतजार करने को कहा. उसी स्टूडियो में राजेश खन्ना भी शूटिंग कर रहे थे. जब ग्रोवर उनसे पूछा कि क्या वो राजेश खन्ना से मिलना चाहेंगे तो अमिताभ काफी खुश हुए और ग्रोवर से खन्ना से मिलाने की जिद्द करने लगे. खन्ना उन दिनों स्टार बन चुके थे जबकि अमिताभ बच्चन की अभी शुरुआत भी नहीं हुई थी.
राजेश खन्ना राज ग्रोवर को जानते थे इसलिए जब ग्रोवर उनके सेट पर पहुंचे तो उन्होंने उनका स्वागत किया और साथ खड़े अमिताभ के बारे में पूछा- ये किसे अपने साथ ले आये ? तब ग्रोवर ने अमिताभ का परिचय कराते हुए खन्ना से कहा कि ये कवि हरवंश राय बच्चन के पुत्र हैं और मुंबई में नर्गिस जी के मेहमान हैं. अमिताभ ने हाथ बढ़ाया तो राजेश खन्ना ने ये कहते हुए उनसे हाथ मिलाने से इनकार कर दिया की वो तो किसी बच्चन को जानते ही नहीं.
ये राजेश खन्ना का घमंड था या वाकई उन्होंने बच्चन साहब का नाम नहीं सुना था ये तो वही जानें, लेकिन अमिताभ राजेश खन्ना से हुई ये पहली मुलाक़ात कभी भूल नहीं पाए और एक दिन खन्ना की पहचान को ही निगल गए.















