क्या आप जानते हैं, रात का एक ऐसा समय भी होता है जिस दौरान अगर आप प्रेम करते हैं तो कभी भी पैसों के लिए आपको रोना नहीं पड़ेगा… आपकी गरीबी अपने आप अमीरी में बदल जाएगी… लेकिन सोचने वाली बात है कि आखिर वो कौन सा समय है….
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि पति-पत्नी को अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्थी, अष्टमी, रविवार, संक्रांति, संधिकाल, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, श्रावण मास और ऋतुकाल पर किसी भी हाल में प्रेम बेला में जरुर डूबना चाहिए।
जो स्त्री पुरुष इस नियम का पालन करते हैं उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि और आपसी प्रेम-सहयोग बना रहता है और जो ऐसा नहीं करते वो अपने घर में गृहकलह और धन की हानि इसके साथ ही आकस्मिक घटनाओं को न्यौता देने का काम करते हैं।
सिर्फ यही नहीं दोस्तों हमारे धर्मशास्त्रों में तो ये भी बताया गया है की रात का पहला प्रहर यानी देर रात बारह बजे तक करने के लिए सबसे सही समय है। इस प्रहर में प्रेम बेला के फल के तौर पर धार्मिक, माता-पिता से प्रेम रखने वाली, धर्म का कार्य करने वाली और आज्ञाकारी सन्तान की प्राप्ति होती है।
महादेव की दया से से ऐसी संतानों की आयु लम्बी और भाग्य प्रबल होता है। और तो और जो स्त्री पुरुष प्रथम प्रहर के बाद प्रेम की लहरों को महसूस करता उससे उत्पन्न होने वाली संतान में राक्षसों की तरह ही गुण आने की पूरी उम्मीद होती है। क्यूंकि प्रथम प्रहर के बाद राक्षसगण पृथ्वीलोक के भ्रमण पर निकलते हैं। इसके अलावा पहले प्रहर के बाद नजदीकियां इसलिए भी अशुभकारी है, क्योंकि ऐसा करने से शरीर को कई रोग भी घेर लेते हैं।
वहीं दोस्तों, महार्षि वाघ भट्ट अष्टांग ह्द्यम के सातवें अध्याय में बताया गया है कि बसंत और सर्दी के मौसम में तीन तीन दिन के अंतराल पर प्रेम की बेला में डूबना चाहिए… वो भी केवल उन्हीं लोगों को जो स्वस्थ्य हैं…अस्वस्थ्य लोग इन कार्यों से जितना हो सके उतना दूर रहें…
इसके साथ ही आपको किसी ताकतवर धातू का भी सेवन करते रहना चाहिए जैसे अश्वगंधा और चवनप्राश…
वहीं अगर बारिश और गर्मी के मौसम की बात की जाए तो 15-15 दिन के अंतर पर पति-पत्नी दोनों करीब आ सकते हैं…
कहा तो यह भी जाता है कि हर समय प्रेम के सागर में डुबकी लगाने के बारे में सोचना और ऐसा करना आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता है…
इसके साथ ही प्राचीन ग्रन्थ आयुर्वेद की मानें तो किसी भी पुरुष को स्त्री के मासिक धर्म के समय और किसी रोग, संक्रमण होने पर उसके साथ प्रेम नहीं करना चाहिए।
वहीं अगर जनांगों पर किसी भी तरह का घाव या दाने हो तो करीबी न बनाएं। इतना ही नहीं हमेशा ध्यान से करने से पहले शौच जरूर कर लें। इसके साथ ही प्रेम बेला के बाद जननांगों को अच्छे से साफ करें या तो स्नान ही कर लें।
इन सबके आलावा हिन्दू धर्म शास्त्रों में ये भी बताया गया है की पवित्र माने जाने वाले वृक्षों के नीचे, सार्वजनिक स्थानों, चौराहों, उद्यान, श्मशान घाट, वध स्थल, औषधालय, मंदिर, ब्राह्मण, गुरु और अध्यापक के घर पर नहीं करना चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है तो शास्त्रानुसार उसको इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है।
सिर्फ यही नहीं दोस्तों, हमारे शास्त्रों में तो ये भी बताया गया है कि किसी भी पुरुष को अपनी पत्नी के साथ गर्भावस्था के दौरान प्रेम नहीं करना चाहिए। गर्भकाल में ऐसा करना बहुत गलता माना गया है…. अगर भूल कर भी ऐसा किया तो आने वाली संतान का अपंग और रोगी पैदा होने का खतरा बना रहता है।
हालांकि कुछ शास्त्रों के अनुसार 2 या 3 महीने तक प्रेम बनाए जाने के बारे में मिलता है…. लेकिन गर्भ ठहरने के बाद ऐसा ना हीं किया जाए तो ही सही रहता है।
लेकिन दोस्तों आपको बता दें, किसी भी स्त्री या फिर पुरुष को भूलकर भी काम में डूबना नहीं चाहिए….
हमारे शास्त्रों में लिखा है काम के बराबर दुष्कर कोई रोग नहीं, मोह की तरह कोई शत्रु नहीं, क्रोध के समान अग्नि नहीं और ज्ञान से बड़ी इस संसार में सुख देने वाली कोई वस्तु नहीं है. वहीं आचार्य चाणक्य कहते हैं कि काम से घिरा रहने वाला इंसान विचार और लक्ष्य हीन हो जाता है, जिसके दिमाग में ज्ञान की बजाय सिर्फ वासना का वास रहता है और ऐसे मनुष्य से बुद्धीहीन इस संसार में दूसरा कोई नहीं है…
इसलिए आपने देखा होगा जो भी काम में लिप्त लोग होते हैं वो ज्यादा सफल नहीं होते, उन्हें समाज में इज्जत नहीं मिलती और ना ही भगवान उनकी मदद करते हैं. किसी भी चीज की अति आपको बर्बादी के रास्ते पर ही ले जाती है. कई ऐसे आदमी और औरतों की कहानियां आपको सुनने को मिल जाएंगी जो अपने साथी को प्रेम बनाने के लिए मजबूर करते हैं, इच्छा न होने के बावजूद कई पुरुष महिलाओं को प्रताड़ित करते हैं, इससे मानसिक तनाव बढ़ता है, परिवारिक रिश्ते बिखरते हैं और फिर समाज में बदनामी होती है. इसके अलावा मरने के बाद आपकी आत्मा को नरक में यातनाएं सहनी पड़ती है।