राहुल गांधी को मिला महाराष्ट्र के एक बड़े नेता का साथ, आयोग के खिलाफ और आक्रामक होगी कांग्रेस

नई दिल्ली । कथित तौर पर फर्जी मतादाता सूची को लेकर चुनाव आयोग पर हमलावर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चाणक्य कहलाने वाले महाराष्ट्र के एक बड़े नेता का साथ मिला है। इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब राहुल गांधी आयोग पर अपने हमले और तेज कर सकते है। दरअसल, एनसीपी-एससीपी के प्रमुख शरद पवार ने राहुल गांधी के आरोपों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देना चाहिए था, लेकिन वह मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी सोमवार को बिहार की मतदाता सूची को लेकर प्रदर्शन करेगी, क्योंकि इस मुद्दे पर संसद में बीते 15 दिनों से हंगामा चल रहा है। सच्चाई जनता के सामने नहीं आ पा रही है।

राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी और बीजेपी के साथ साठगांठ का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में मतदाता सूचियों में हेराफेरी की गई है, जिसके सबूत उन्होंने सार्वजनिक रूप से पेश किए। इस पर शरद पवार ने कहा कि राहुल गांधी ने गंभीर आरोप लगाए हैं और केंद्रीय गृह मंत्री की जिम्मेदारी थी कि वे इस पर स्पष्टता लाएं। लेकिन उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों को अनदेखा कर दूसरा मुद्दा उठाने की कोशिश की।

विपक्ष के चाणक्य पवार का बयान विपक्षी एकता को मजबूत करने और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पवार ने बिहार की मतदाता सूची को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि बीते 15 दिनों से संसद में मुद्दे पर हंगामा हो रहा है, लेकिन असली स्थिति जनता के सामने नहीं आ रही। इसकारण हमें बिहार को लेकर आशंकाए हैं। पवार ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी सोमवार को दिल्ली में प्रदर्शन करेगी, इसमें बिहार की मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह कदम विपक्षी दलों के उस अभियान का हिस्सा है, जिसमें वे चुनाव आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
बिहार में मतदाता सूची को लेकर विवाद जुलाई 2025 से शुरू हुआ, जब विपक्ष ने विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया पर सवाल उठाए। विपक्ष का दावा है कि इस प्रक्रिया में 45-50 लाख मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकता है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।

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