
नई दिल्ली: सत्ता में आने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक के बाद कई फैसले से दुनिया को चौका दिया है। इसमें से एक रेसिप्रोकल टैरिफ को लिया गया फैसला भी है। हालांकि अब ‘SBI रिसर्च’ की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर असर न के बराबर होगा। इसका कारण यह है कि निर्यात में भारत ने कई तरह से विविधताएं ला रहा है, साथ ही वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) पर भी जोर दे रहा है।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में सामने आया है कि निर्यात के लिए भारत वैकल्पिक रास्तों की तलाश कर रहा है। साथ ही यूरोप से मध्य पूर्व के माध्यम से अमेरिका तक नए रास्ते पर भी काम कर रहा है। इतना ही नहीं, नए सप्लाई चेन एल्गोरिदम को भी नए सर से तैयार कर रहा है। ऐसे में टैरिफ को लेकर अमेरिका के फैसले का भारत पर असर पड़ने की संभावना न के बराबर है।
हालांकि इस रिपोर्ट में भारत के निर्यात में 3-3.5% तक की गिरावट होने की भी आशंका जताई गई है। ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों ही स्तरों पर सुधार किया जाना चाहिए।
एल्यूमीनियम और स्टील टैरिफ का भारत को मिलेगा लाभ
भारत का अमेरिका के साथ एल्यूमीनियम व्यापार के लिए 13 मिलियन डॉलर और स्टील व्यापार के लिए 406 मिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका द्वारा लगाए ट्रेड रेसिप्रोकल टैरिफ भारत संभावित रूप से लाभ उठा सकता है।
गौरतलब है कि यूएस रेसिप्रोकल टैरिफ आगामी 2 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है। इस टैरिफ को लेकर भारत सरकार और अमेरिका के बीच बातचीत भी चल रही है। इससे पहले, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी ‘द्विपक्षीय व्यापार समझौते’ पर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के साथ बातचीत की है।
बता दें कि इससे पहले सामने आई कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि अमेरिका के टैरिफ का भारत पर बड़ा असर पड़ेगा। ऑटो इंडस्ट्री समेत कई इंडस्ट्री में इसका सबसे अधिक असर पड़ने के आसार जताए जा रहे थे। हालांकि अब सामने आई SBI रिसर्च से ऐसे सभी दावे निराधार साबित होते दिख रहे हैं।