
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण के दौरान भारत और चीन पर बड़ा आरोप लगाया। ट्रंप का कहना था कि ये दोनों देश रूस से तेल खरीदकर परोक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को आर्थिक ताकत दे रहे हैं। उनके बयानों ने न सिर्फ भारत और चीन जैसे बड़े देशों को कठघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी हलचल मचा दी।
ट्रंप का आरोप: “भारत-चीन युद्ध को फाइनेंस कर रहे”
ट्रंप ने अपने अंदाज़ में सीधा सवाल उठाते हुए कहा कि भारत और चीन रूसी तेल खरीदकर उस युद्ध को फंड कर रहे हैं, जिसने हजारों जिंदगियों को तबाह कर दिया है। उन्होंने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, “सोचिए, वे अपने ही खिलाफ युद्ध को फंड कर रहे हैं। ऐसा किसने सुना है?”
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि जब अमेरिका रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रहा है, तब नाटो देशों ने ऊर्जा क्षेत्र में उतनी सख्ती नहीं दिखाई। उनका मानना है कि अगर दुनिया सचमुच रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहती है, तो सभी देशों को अमेरिका के साथ एक जैसी नीति अपनानी होगी।
भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी
ट्रंप ने भाषण में कहा कि अमेरिका भारत पर पहले से लगे टैरिफ को और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि रूसी तेल खरीद को रोकने के लिए भारत पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो कुल अमेरिकी टैरिफ भारत पर 50% तक पहुंच जाएगा—जो दुनिया में सबसे अधिक होगा।
भारत ने इस पर कोई सख्त प्रतिक्रिया न देते हुए बेहद संयमित लहजा अपनाया। भारत की ओर से बस इतना कहा गया कि वह किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह अपने राष्ट्रीय और आर्थिक हितों की रक्षा करेगा और ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाएगा। भारत का यह जवाब संतुलित और कूटनीतिक था, लेकिन यह साफ था कि ट्रंप की टिप्पणी उसे बिल्कुल रास नहीं आई।
संयुक्त राष्ट्र को भी आड़े हाथों लिया
ट्रंप का हमला सिर्फ भारत और चीन तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी कठघरे में खड़ा किया और कहा कि यह संस्था अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रही है। उनका आरोप था कि UN केवल खोखले बयानों और पत्रों तक सीमित है, जबकि युद्ध बंद करने के लिए ठोस कदमों की ज़रूरत है। व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि “युद्ध खोखले शब्दों से नहीं रुकते।”
अमेरिका की तारीफ और बाइडन पर कटाक्ष
अपने भाषण में ट्रंप ने अमेरिका की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है—चाहे वह व्यापार हो, निवेश हो या सम्मान। उन्होंने इसे “दुनिया का सबसे अच्छा देश” बताया और दावा किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है।
इसके साथ ही ट्रंप ने राष्ट्रपति जो बाइडन पर भी निशाना साधा। उन्होंने शुरुआत से ही बाइडन प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका की मौजूदा सफलता उनकी (ट्रंप की) नीतियों की वजह से है, न कि मौजूदा सरकार की उपलब्धियों से।