भारत में प्राचीनकाल से ही धर्म को बहुत ज़्यादा महत्व दिया जाता रहा है। यहाँ धर्म को केंद्र में रखकर ही लोग हर काम करते हैं। हमारे बुज़ुर्ग आज भी कई काम धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से करते हैं। वास्तुशास्त्र भी धर्म का ही एक भाग है। इसमें यह बताया गया है कि किस तरह से व्यक्ति को रहना चाहिए। घर में कैसा माहौल होना चाहिए और घर में क्या नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने कोई भी व्यक्ति ख़ुशी-ख़ुशी जीवन जी सकता है। वास्तुशास्त्र के नियमों को अनदेखा करने पर व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हमारे बुज़ुर्ग पहले से ही वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करते आए हैं। तभी तो उन्हें सुखी जीवन के कई राज पता थे। अक्सर ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले लोग कई कहावतें कहते हुए सुनाई देते हैं। कई लोगों को यह कहावतें समझ में नहीं आती हैं। लेकिन आपको बता दें इनमें से कई कहावतें वास्तुशास्त्र के नियमों से प्रेरित होती हैं और इनका मतलब बहुत ही गहन होता है। कई कहावतों में जीवन जीने के सही तरीक़े के बारे में बताया गया है।
भारत में प्राचीनकाल से ही कहावतों के माध्यम से गाँवों में लोग अपनी बातों को दूसरों तक पहुँचाने का काम करते रहे हैं। कुछ कहावतों में गघर कैसा होना चाहिए इसके बारेमे भी बताया गाय है। आप इन कहावतों के मतलब को समझकर यह जान सकते हैं कि आपका घर किस तरह का होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर और उसके आस-पास के माहौल का घर और उसमें रहने वाले लोगों के जीवन पर पड़त है। जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं, वो वास्तुदोष से बचे रहते हैं। आज हम बुज़ुर्गों द्वारा इस्तेमाल की जानें वाली कुछ महत्वपूर्ण कहवातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बुज़ुर्गों द्वारा बोली जानें वाली प्रमुख वास्तुशास्त्र की कहावतें:
*- जाकै पूरब पीपल होवे, सो लक्ष्मी पर लक्ष्मी खोवे।
बुज़ुर्गों द्वारा बोली जानें वाली इस कहावत का मतलब बहुत ही साफ़ है। जिस घर के पूरब दिशा में पीपल का पेड़ होता है, उस घर के लोगों को लगातार आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है। ऐसे घर में कभी भी पैसा नहीं टिकता है।
*- जेंहि मुंडे पर अशोक वृक्ष बासा, शोक राहत उई भवत सुवासा।
इस कहावत का मतलब होता है, जिस भूमि पर अशोक का पेड़ होता है, उस जगह बना हुआ घर बहुत ही शुभ होता है। ऐसे घर में जो भी लोग रहते हैं, उन्हें ख़ुशियाँ मिलती हैं। अशोक के पेड़ से वास्तुदोष भी ख़त्म हो जाता है।
*- सिंह मुखी जो रहने जावै, तन, धन आपन सकल गँवावै।
आगे से चौड़ी और पीछे से पतले घर यानी सिंह मुखी घर में जो भी लोग रहते हैं, उन्हें हमेशा सेहत सम्बंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे घर में रहने वाले किसी ना किसी शारीरिक परेशानियों से घिरे रहते हैं, जिसकी वजह से घर का ख़र्च भी बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है।
*- छोटे दरवाज़ों मोटी चोर, बहों ऑ तो आफ़त घोर।
जिस घर का मुख्य दरवाज़ा छोटा होता है, उस घर में चोरी की सम्भावना बढ़ जाती है। वहीं जिस घर का मुख्य दरवाज़ा बहुत बड़ा होता है, उस घर में कई परेशनियाँ आती हैं। इसलिए घर का मुख्य दरवाज़ा माध्यम आकार का ही बनवाना चाहिए।
*- गाज जेहि हारै झूंड उठावै, सकल शगुन अस बात जतावै।
जो पहिले घर-देव खिचावै, उहि घर को बहि दैव रखावै।।
बुज़ुर्गों की इस कहावत का मतलब जिस घर में पहले वास्तु देवता को नैवेद्य लगाया जाता हो और बाद में ही उस घर के लोग भोजन करते हों, उस घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे घरों में रहने वाले लोगों की जीवन में सफलता जल्दी मिलती है।