संकट बरक़रार : टनल में फंसे मजदूरों के लिए बर्फबारी भी बनी चुनौती, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ…

उत्तरकाशी । बीते एक पखवाड़े से टनल में फंसे 41 मजदूर अभी तक बाहर नहीं आ पाए है। लगातार रेस्क्यू चल रहा है लेकिन बीच की अड़चनों के कारण कुछ न कुछ समस्या खड़ी हो जाती है और काम रुक जाता है। मजदूरों तक पहुंच के लिए जिस ऑगर मशीन को सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा था वो अंतिम चरण में पहुंचने के बाद बीते तीन दिन में महज 2.20 घंटे ही चल पाई है। इसके अलावा मौसम विभाग की चेतावनी भी चिंता का विषय बनी हुई है। आईएमडी ने बारिश और बर्फबारी की संभावना जताते हुए यलो अलर्ट जारी किया है।यदि मौसम करवट लेता है और बर्फबारी के साथ बारिश हो गई तो रेस्क्यू टीम के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी।

अमेरिकी तकनीकी पर आधारित हाई पावर ड्रिलिंग ऑगर मशीन के पहुंचने के बाद, बचाव और राहत अभियान में तेजी आई। मशीन ने बुधवार रात 12 बजे तक 800 एमएम व्यास का पाइप मलबे में 48 मीटर तक डालने में कामयाबी भी हासिल कर ली थी।लेकिन इसके बाद मलबे में सरिया और गॉर्डर आने से ऑगर मशीन खराब हो गई। साथ ही मशीन का बेस भी हिल गया। जिसे 48 घंटे बाद शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे चालू किया गया। इसके बाद मशीन ने अगले 2.20 मिनट में करीब 2.2 मीटर और पाइप को अंदर पुश करने में सफलता हासिल की। लेकिन शुक्रवार शाम ही 6.40 मिनट पर एक बार फिर मलबे में गॉर्डर आने से मशीन क्षतिग्रस्त होने से ठप हो गई।
इसके बाद अधिकारियों को अब ऑगर मशीन को भी त्यागते हुए दूसरा विकल्प देखना पड़ रहा है। इस तरह बुधवार रात 12 बजे के बाद से शनिवार रात 12 बजे तक के 72 घंटे में मशीन महज 2.20 मिनट ही चल पाई। इस दौरान इसने सिर्फ 2.2 मीटर ही पाइप अंदर पुश किया है। जबकि मजदूर अब भी पाइप के अंतिम छोर से आठ से 10 मीटर दूर हैं।14वें दिन ऑगर मशीन ही मलबे के भीतर सरिया के जाल के साथ ही पाइप में फंस गई। सरिया के जाल से मशीन की प्लेट (ब्लेड) भी क्षतिग्रस्त हो गई है। ऑगर मशीन के मलबे में फंसने के बाद सिलक्यारा में टनल के अंदर रेस्क्यू कार्य ठप हो गया है। अब यहां फिलहाल ऑगर मशीन को काटने के लिए हैदराबाद से मंगाई गई मशीन के पहुंचने का इंतजार है।जबकि नए प्लान के तहत टनल के ऊपर से ड्रिलिंग की तैयारी की जा रही है। इन सबके बीच श्रमिकों से बातचीत जारी है। विशेषज्ञ शनिवार तड़के से इसे काटने में जुटे हैं। रविवार दोपहर तक ऑगर मशीन के कटने की उम्मीद है। इसके बाद मैनुअल तरीके से मलबा हटाकर मजदूरों तक पहुंच बनाने की कोशिश की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बताया कि 800 एमएम के पाइप में ऑगर मशीन काटने के लिए बीती रात ही हैदराबाद संपर्क किया गया। शनिवार दोपहर वहां से प्लाज्मा कटर मशीन स्पेशल विमान से जौलीग्रांट के लिए रवाना की गई । जो देर रात जौलीग्रांट पहुंची इसके बाद उसे सिलक्यारा के लिए रवाना किया गया।ऑगर मशीन के हिस्से को अभी कटर से बामुश्किल काटा जा पा रहा है। एक घंटे में यह कटर सिर्फ डेढ़ मीटर हिस्सा ही काट पा रहा है। नई मशीन ज्यादा क्षमता की होने से एक घंटे में चार मीटर तक का हिस्सा कटने की उम्मीद है। अपराह्न ढाई बजे तक एक्सपर्ट ऑगर मशीन के 27 मीटर हिस्से को काट कर बाहर ला चुके थे, जबकि अभी लगभग 23 मीटर हिस्सा काटा जाना शेष है।

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