सहारा ग्रुप का बड़ा फैसला : महाराष्ट्र और लखनऊ में अडाणी को बेचेगा प्रॉपर्टी…SC से मांगी इजाजत, पढ़ें पूरी खबर

सहारा ग्रुप ने अडाणी प्रॉपर्टीज के साथ 88 प्रॉपर्टी बेचने का समझौता किया, जिसे कोर्ट से मंजूरी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी, ग्रुप को निवेशकों के 24,030 करोड़ लौटाने हैं

नई दिल्ली । सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट से अपने महाराष्ट्र की अंबी वैली और लखनऊ की सहारा शहर सहित 88 प्रॉपर्टी अडाणी ग्रुप को बेचने की इजाजत मांगी है। कंपनी की मांग पर 14 अक्टूबर को सुनवाई हो सकती है। सहारा ग्रुप ने 6 सितंबर को अडाणी प्रॉपर्टीज के साथ 88 प्रॉपर्टी बेचने का समझौता किया, जिसे कोर्ट से मंजूरी चाहिए। सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बताया कि ये डील न सिर्फ उनकी संपत्तियों से अच्छी कीमत निकालेगी, बल्कि कोर्ट के आदेशों के मुताबिक बकायों का भुगतान करने में भी मदद करेगी। इससे पहले भी सहारा ने कई चल और अचल संपत्तियों को बेचकर करीब 16,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं, जिसे सेबी के सहारा रिफंड अकाउंट में जमा किया गया है। कंपनी के निवेशकों और अन्य लोगों को उनका बकाया यहीं से मिलेगा।

ग्रुप के मालिक सुभ्रत रॉय की नवंबर 2023 में मौत के बाद ग्रुप में फाइनल डिसीजन लेने वाला कोई नहीं बचा। परिवार ने निवेशकों के हित में संपत्तियों को जल्दी और ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बेचने का फैसला किया ताकि ग्रुप के जरूरी काम और लेनदेन पूरा किया जा सके। एसआईसीसीएल के अनुसार मौजूदा बाजार स्थितियों, व्यवहार्य प्रस्तावों की अनुपस्थिति और कई मुकदमों के लंबित रहने के कारण प्रयासों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इससे सामूहिक रूप से खरीदार का विश्वास कम हुआ और उक्त संपत्तियों की बाजार क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसमें कहा गया है कि कई जांच एजेंसियों की ओर से दिवंगत सुब्रत रॉय के परिवार के सदस्यों और सहारा समूह के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ पूछताछ शुरू करने से यह प्रयास और जटिल हो गया है।

कोर्ट के आदेशों का पालन
सहारा अपनी प्रॉपर्टी बेच रहा है ताकि निवेशकों का पैसा लौटाया जाए। सहारा ग्रुप पर निवेशकों के 24,030 करोड़ रुपए बकाया है, जिसे ग्रुप की प्रॉपर्टी बेचकर जुटाए पैसे से चुकाया जाएगा। संपत्ति बेचकर मिले पैसे को सेबी सहारा रिफंड अकाउंट में डाला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को निर्देश दिए हैं कि वो अपनी देनदारियों को चुकाए। प्रॉपर्टी बेचकर जुटाई गई रकम से बकाया चुकाने पर कंपनी पर अवमानना कार्यवाही खत्म हो सकती है।

फाइनेंशियल प्रेशर कम करना
सहारा ग्रुप की वित्तीय स्थिति ठीक करने और बकाया को चुकाने के लिए संपत्तियों को बेचना जरूरी है। अब तक 16,000 करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं और बाकी रकम के लिए और संपत्तियां बेची जा रही हैं

बाजार की मुश्किलों का सामना
खराब मार्केट कंडीशन, मुकदमों और जांच एजेंसियों की कार्रवाइयों की वजह से प्रॉपर्टी बेचना मुश्किल हो रहा था। अडाणी प्रॉपर्टीज के साथ डील से सहारा को अच्छी कीमत और तेजी से लेनदेन का मौका मिला है। 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की ओर से सेबी में जमा 24,030 करोड़ रुपए में से 5,000 करोड़ रुपए सहारा ग्रुप की कोऑपरेटिव सोसाइटी के निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट ने 29 मार्च 2023 को भी यहीं आदेश दिया था।

बॉन्ड बेचकर 24,000 करोड़ से ज्यादा जुटाए थे
सहारा इंडिया ग्रुप के खिलाफ सबसे बड़ा केस उसकी दो कंपनियों सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एसएचसीएल से जुड़ा है। कंपनी ने सेबी की मंजूरी के बिना ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स बेचकर 24,000 करोड़ से ज्यादा छोटे निवेशकों से इक_ा किए। आरोप लगा कि ये पब्लिक इश्यू था, लेकिन सहारा ने इसे प्राइवेट प्लेसमेंट बताकर नियम तोड़े। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आदेश दिया कि बॉन्ड बेचना बंद करें और निवेशकों के पैसे लौटाएं। सहारा ने इसे कोर्ट में चैलेंज किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे 3 महीने में लौटाने को कहा। सहारा ऐसा नहीं कर पाया तो उसे तीन किश्तों में पैसे लौटाने को कहा गया। सहारा इंडिया ने 5120 करोड़ रुपए की पहली किश्त जमा कर दी, लेकिन दूसरी और तीसरी किश्त जमा नहीं की। सहारा का कहना था कि वो पहले ही 90 प्रतिशत निवेशकों के पैसे लौटा चुका है।

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