सावधान : भारतीय बच्चों के लिए खतरा साबित हो रहे नेस्ले के प्रोडक्ट,भारत सरकार ने दिए जांच के आदेश


-सेरेलैक में मिली अधिक मात्रा में चीनी


नई दिल्ली । नेस्ले के सामनों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु और शिशु फार्मूला निर्माता, नेस्ले, भारत और अन्य एशियाई और अफ्रीकी देशों में बिकने वाले शिशु दूध और अनाज उत्पादों में चीनी मिला रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्विस जांच संगठन पब्लिक आई के प्रचारकों ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बिक रहे बहुराष्ट्रीय कंपनी के शिशु-खाद्य उत्पादों के नमूने परीक्षण के लिए बेल्जियम की प्रयोगशाला में भेज गए थे। टीम को निडो के नमूनों में सुक्रोज या शहद के रूप में अतिरिक्त चीनी मिली, जो एक अनुवर्ती दूध फार्मूला ब्रांड है, जिसका उपयोग 1 साल और उससे अधिक उम्र के शिशुओं के लिए किया जाता है। 6 महीने से दो साल की उम्र के बच्चों के लिए बनाने वाले सेरेलैक में भी चीनी की मात्रा अधिक मिली। हैरानी की बात यह है कि यूके सहित नेस्ले के मुख्य यूरोपीय बाजारों में छोटे बच्चों के लिए फार्मूले में कोई अतिरिक्त चीनी नहीं है। हालांकि बड़े बच्चों के लिए बनाए गए उत्पादों में अतिरिक्त चीनी होती है, लेकिन छह महीने से एक साल के बीच के बच्चों के लिए बनाए गए उत्पादों में कोई चीनी नहीं होती है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, अफ्रीका में, 2000 के बाद से 5 साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में लगभग 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत में, 12.5 मिलियन बच्चे (7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां), जिनकी उम्र पांच से 19 वर्ष के बीच है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में उनका वजन अत्यधिक अधिक था, जो 1990 में 0.4 मिलियन था। विश्व स्तर पर, 1 अरब से अधिक लोग मोटापे के साथ जी रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केवल पैकेजिंग पर छपी पोषण संबंधी जानकारी के आधार पर उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ उत्पादों की पहचान करना मुश्किल है। ज्यादातर मामलों में, खाद्य लेबल में अक्सर दूध और फलों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शर्करा को किसी भी अतिरिक्त शर्करा के समान शीर्षक के तहत शामिल किया जाता है। भारत में, बाल रोग विशेषज्ञ शिशु के 2 साल का होने तक चीनी न देने की सख्त सलाह देते हैं। इस बीच, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए मुफ्त चीनी/अतिरिक्त शर्करा से आने वाली कुल ऊर्जा का 5 प्रतिश- 7 प्रतिशत से अधिक की सिफारिश नहीं करता है।


यूके अनुशंसा करता है कि वजन बढ़ने और दांतों की सड़न सहित जोखिमों के कारण चार साल से कम उम्र के बच्चों को अतिरिक्त चीनी वाले भोजन से बचना चाहिए। अमेरिकी सरकार के दिशानिर्देश दो वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए अतिरिक्त शर्करा वाले खाद्य पदार्थों और पेय से परहेज करने की सलाह देते हैं।

 
बच्‍चों का प्रोसेस्‍ड फूड बनाने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में से एक नेस्‍ले पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके बाद नेस्ले कंपनी भारत सरकार की जांच के दायरे में आ चुकी है। बताया जा रहा है कि डबल स्‍टैंडर्ड का मामला सामने आने के बाद नेस्ले प्रोडक्ट पर एफएसएसएआई की नजर है। भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि अगर गड़बड़ी मिली, तब कंपनी पर कार्रवाई हो सकती है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि रेगुलेटर की साइंटिफिक कमिटी इसकी जांच करेगी। भारत सरकार ने देश में बिकने वाले शिशु के दूध में कथित तौर पर चीनी मिलाने की रिपोर्ट की जांच करने को कहा है। दरअसल, स्विस जांच संगठन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि नेस्‍ले कंपनी भारत में बिकने वाले बेबी फूड में शूगर का इस्‍तेमाल कर रही है। छोटी बच्‍चों को खाने में चीनी देना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है, यह देखकर केंद्र सरकार के निशाने पर अब ये कंपनी आ गई है।
भारत सरकार केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) से नेस्ले के बेबी फूड के नमूनों की जांच करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का पालन करेगा।

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