
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर घोषणा करते हुए दावा किया कि ईरान और इजरायल के बीच 12 दिन से चल रहा युद्ध समाप्त हो चुका है. ट्रंप के अनुसार, दोनों पक्षों ने एक पूर्ण और क्रमिक युद्धविराम पर सहमति जताई है, जिसके तहत पहले 12 घंटे ईरान हथियार डालेगा और उसके बाद अगले 12 घंटे इजराइल शांत रहेगा.
हालांकि, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ट्रंप के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. अराघची ने कहा कि इजराइल के साथ अब तक कोई अंतिम युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इजराइली सेना तेहरान के समयानुसार सुबह 4 बजे तक ईरानी नागरिकों पर अपने हमले रोक देती है, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई को विराम देने पर विचार करेगा. इस बीच, न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजराइली सेना के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि सेना ने अभी तक ट्रंप के युद्धविराम दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
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ट्रंप को मिला अमेरिकी राजनीति का समर्थन
सीजफायर की घोषणा के बाद अमेरिकी रिपब्लिकन हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने इसे “शक्ति के माध्यम से शांति” का उदाहरण बताया. उन्होंने ट्रंप को इस ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता का पूरा श्रेय देते हुए कहा कि “यह अमेरिका की लंबे समय बाद सबसे बड़ी कूटनीतिक राहत है, जिससे पूरा कैपिटल हिल राहत की सांस ले सकता है.”
जंग जो सालों तक चल सकती थी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि अगर यह युद्ध नहीं रोका जाता तो यह न केवल वर्षों तक चलता बल्कि पूरे पश्चिम एशिया को तबाही की आग में झोंक देता. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में यह लड़ाई दोबारा न हो और अब बातचीत और स्थिरता का दौर शुरू हो.
कैसे शुरू हुआ यह संघर्ष?
13 जून को इजरायल की ओर से ईरान के खिलाफ हवाई हमले के साथ इस टकराव की शुरुआत हुई. इजरायल ने इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने की ‘आवश्यक कार्रवाई’ करार दिया था. इसके बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए मिसाइलें दागीं. 12 दिनों की इस लड़ाई में भारी जान-माल का नुकसान हुआ और दोनों ओर के सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा.
क्या अब सच में थम जाएगी जंग?
हालांकि ट्रंप के ऐलान से अस्थायी राहत जरूर दिख रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मानते हैं कि इस क्षेत्र में तनाव की चिंगारी हमेशा बनी रहती है. युद्धविराम की घोषणा भले हो गई हो, लेकिन इसका स्थायित्व कितना मजबूत रहेगा, यह आने वाले हफ्तों में ही साफ होगा. फिलहाल, इस सीजफायर को ट्रंप की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.