सुरंग में फंसे मजदूरों की जिंदगी बचाने युद्ध स्तर पर चल रहा बचाव कार्य, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ…

-केंद्रीय मंत्री गडकरी और सीएम धामी ने किया निरीक्षण

उत्तरकाशी, (ईएमएस)। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव एवं राहत कार्य किया जा रहा है। चार एजेंसियां अलग-अलग विकल्पों पर कार्य कर रही हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय बचाव और राहत अभियान पर नजर बनाए हुए है। यह जानकारी ध्वस्त हुई सुरंग का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन ने पत्रकारों को दी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा सुरंग में चल रहे राहत एवं बचाव कार्य का निरीक्षण करने सिलक्यारा पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस एस संधू भी थे। पत्रकारों से चर्चा कर रहे केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी ने कहा, कि सुरंग में फंसी जिंदगियों को बचाने में हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जाहिर की है। राज्य सरकार इस मामले में हमारी पूरी मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय सरकार की अनेक एजेंसियां इस कार्य में मदद कर रही हैं। निजी एजेंसियां भी इस कार्य में शामिल की गई हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिकी विशेषज्ञ भी बचाव और राहत कार्य के लिए संपर्क बनाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता सुरंग में फंसे लोगों की जिंदगी बचाना है।

गौरतलब है कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में एक निर्माणाधीन सुरंग के अंदरुनी हिस्से के ध्वस्त हो जाने के कारण सुरंग में 41 श्रमिक अंदर ही फंस गए हैं। मजदूरों को बचाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। रविवार को रेस्क्यू ऑपरेशन का 8वां दिन था और इस बीच केंद्रीय मंत्री गडकरी और मुख्यमंत्री धामी भी घटना स्थल का जायजा लेने से लेकर राहत व बचाव कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि पहाड़ी के ऊपर से एक वर्टिकल होल बनाने ड्रिलिंग की जा रही है। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चार मोर्चों पर कार्य किया जा रहा है। प्रथम मोर्चे की जिम्मेदारी एसजेवीएनएल यानी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड है, जो कि सुरंग के ऊपर 120 मीटर की 1 मीटर वर्टिकल सुरंग के लिए खुदाई करने का कार्य कर रहा है। द्वितीय मोर्चे पर नवयुग इंजीनियरिंग है जिस पर करीब 60 मीटर लंबाई की सुरंग खोदने की जिम्मेदारी है। तृतीय मोर्चे पर टीएचडीसी है जो कि विपरीत दिशा से लगभग 400 मीटर सुरंग की खुदाई करने का कार्य कर रही है। इसी प्रकार चौथे मोर्चे पर ओएनजीसी जो कि नीचे से हॉरिजोंटल ढंग से संभवत: सुरंग खोदने का कार्य करेंगे।

गौरतलब है कि बचाव कार्य में एनएचआईडीसीएल यानी राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, ओएनजीसी अर्थात तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, एसजेवीएनएल यानी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, टीएचडीसी और आरवीएनएल अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इनके अतिरिक्त बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव एवं राहत अभियान में सहभागिता निभा रही है।

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