मुंबई (ईएमएस)। शेयर बाजार बच्चों का खेल नहीं है। यहां बड़े-बड़े लोगों का पैसा डूब जाता है। डूबने का कारण कोई एक नहीं, बल्कि अनेक हैं। कभी कोरोना जैसे वायरस का प्रकोप होता है, तब शेयर कौड़ियों के भाव पर पहुंच जाते हैं, तब कभी उन्हीं शेयरों का भाव सातवें आसमान पर होता है। शेयर बाजार में लगा पैसा दुनियाभर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों से प्रभावित होता है। रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई के दौरान दुनियाभर के शेयर बाजार दबाव में नजर आए थे। फिर एक खतरनाक युद्ध दुनिया के सामने है। हमास के हमले के बाद इजराइल ने घोषणा कर दी कि वह युद्ध में है। खबर के फैलते ही भारतीय शेयर बाजार में कई शेयर प्रभावित होते दिख रहे।
बता दें कि हाल ही में अडानी पोर्ट्स ने इजराइल में एक पोर्ट लिया है। जाहिर है अडानी पोर्ट्स के शेयर को झटका लगा। इजराइल और हमास के इस युद्ध से केवल अडानी पोर्ट्स ही प्रभावित नहीं है, बल्कि लगभग 14 स्टॉक हैं, जिन पर सीधा असर देखने को मिल रहा है या मिल सकता है। अडानी पोर्ट्स के शेयर में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। मंगलवार को हालांकि अडानी ग्रुप सहित ज्यादातर स्टॉक्स को ऊपर की तरफ बढ़ते हुए देखा गया। इसके अलावा, सन फार्मा 2 फीसद गिरा। इजराइल की कंपनी टारो फार्मा में सन फार्मा की बड़ी हिस्सेदारी है। तेल-अवीव बेस्ड टेवा फार्मा चूंकि फार्मा सेक्टर की अगुवा कंपनी है, तब भारत की जेनरिक दवा निर्माता कंपनियां डॉ. रेड्डीज लैब और लूपिन के शेयरों पर भी असर देखा गया।
रिपोर्ट ने बताया कि माइनिंग करने वाली कंपनी एनएमडीसी, कल्याण जूलर्स और टाटा ग्रुप की कंपनी टाइटन का भी इजराइल कनेक्शन है। केवल यही कंपनियां नहीं, कई आईटी सेक्टर की कंपनियां भी इजराइली कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। इसमें भारत की आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो, टेक महिंद्रा, और इंफोसिस शामिल हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और लार्सन एंड टर्बो (एलएंडटी) की भी इजराइल में उपस्थिति है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन 14 कंपनियों के अलावा मध्य पूर्व में चल रहे अलग-अलग विवादों के चलते ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वजह यह है कि रिटेलर्स को आम चुनावों से लगभग ठीक पहले क्रूड ऑयल के बढ़ते भावों के चलते कीमतों को स्थिर रखने का दबाव झेलना पड़ सकता है।