हवाई संकट गहराया : एयरलाइंस युद्ध क्षेत्र से दूर कर रहीं उड़ानें, रूट में बड़ा बदलाव

-इस बदलाव से ईंधन की खपत बढ़ी और उड़ान संचालन भी हुआ महंगा

नई दिल्ली । अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए जाने के बाद से मध्य पूर्व में एयर ट्रैफिक को चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के चलते एयरलाइंस अब इस क्षेत्र के हवाई क्षेत्र के बड़े हिस्से से उड़ान भरने से बच रही हैं, जिसके कारण उड़ानों में देरी हो रही है, उड़ान का समय और लागत बढ़ रही है।

मीडिया रिपोर्ट में फ्लाइट ट्रैकिंग सर्विस के मुताबिक कमर्शियल विमान ईरान, इराक, सीरिया और इजराइल जैसे देशों के ऊपर से उड़ान भरने से बच रहे हैं और अपना मार्ग बदल रहे हैं। इसके बजाय वे कैस्पियन सागर, मिस्र या सऊदी अरब जैसे सुरक्षित क्षेत्रों से होकर जा रहे हैं। इस बदलाव के कारण ईंधन की खपत बढ़ रही है और उड़ान संचालन भी महंगा हुआ है। फ्लाइट सर्विस ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि अमेरिकी हमलों के बाद कमर्शियल विमान उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में उड़ान भरने से बच रहे हैं, पिछले सप्ताह लागू किए गए हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों का पालन कर रहे हैं। मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, क्योंकि मिसाइल और ड्रोन हमले बढ़ रहे हैं।

एविएशन रिस्क मॉनिटरिंग ग्रुप सेफ एयरस्पेस ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी हमलों से मध्य पूर्व के पास उड़ान भरने वाली अमेरिकी एयरलाइनों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।

हालांकि अभी तक नागरिक विमानों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन ग्रुप ने कहा है कि ईरान अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर या हिजबुल्लाह जैसे अपने सहयोगियों का इस्तेमाल करके जवाब दे सकता है, जिससे बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य खाड़ी देशों में भी खतरा बढ़ सकता है।

इजराइल की मुख्य एयरलाइनों ने अपने नागरिकों को वापस घर लाने के लिए बचाव उड़ानें चलाना बंद कर दिया है और यह भी घोषणा की कि उसकी नियमित वाणिज्यिक उड़ानें कम से कम 27 जून तक निलंबित रहेंगी।

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