10-12 घंटे की नींद सेहत पर भारी, ज्यादा सोना पड़ सकता है नुकसानदायक

नई दिल्ली । सामान्य रूप से वयस्कों के लिए 7 से 8 घंटे की नींद को हेल्दी माना जाता है। अगर यह अवधि बढ़कर 10-12 घंटे या उससे ज्यादा हो जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। हैल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि जरूरत से ज्यादा नींद लेने से दिमाग का कामकाज धीमा पड़ सकता है। ऐसे लोग अक्सर सुस्ती, ध्यान की कमी और सोचने की गति में गिरावट जैसी समस्याओं से जूझते हैं। रिसर्च से यह भी साबित हुआ है कि लंबी नींद से मेमोरी कमजोर हो सकती है और मानसिक सतर्कता घट सकती है। यही नहीं, इससे एंजायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। ज्यादा सोना दिल की सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि जरूरत से ज्यादा सोने वाले लोगों में हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है।

खासकर, अगर नींद के साथ फिजिकल एक्टिविटी की कमी और सेडेंटरी लाइफस्टाइल हो, तो यह जोखिम और बढ़ जाता है। लंबे समय तक बहुत ज्यादा सोने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ना शुरू हो जाता है और मोटापे की समस्या पैदा हो सकती है। स्टडीज यह भी बताती हैं कि ओवरस्लीपिंग से इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ सकता है, जो टाइप-2 डायबिटीज का खतरा पैदा करता है। इसके अलावा, ज्यादा सोने से शरीर की नेचुरल बॉडी क्लॉक गड़बड़ा जाती है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और दिनभर सुस्ती महसूस होती है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है, जब नींद का समय बार-बार बदलता है।

अगर कोई व्यक्ति लगातार 10-12 घंटे या उससे अधिक सो रहा है और फिर भी थकान महसूस कर रहा है, तो यह किसी गंभीर मेडिकल कंडीशन जैसे स्लीप एप्निया, डिप्रेशन या थायरॉइड की समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि रोजाना एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत डालें और नींद का समय 7 से 8 घंटे के बीच रखें, ताकि शरीर और दिमाग दोनों स्वस्थ बने रहें। बता दें कि नींद हमारे शरीर और दिमाग की सेहत के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि इसी दौरान शरीर खुद को रिपेयर करता है और दिमाग एनर्जी को रीस्टोर करता है।

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