देश में बढ़ रही नफरत की राजनीतिक को लेकर अब पूर्व नौकरशाहों ने मोर्चा खोला है। 108 पूर्व नौकरशाहों ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा है। इस खत में इन पूर्व नौकरशाहों ने देश में बढ़ रही नफरत की राजनीति और कट्टरता पर चिंता जाहिर की है। यही नहीं इस खत के जरिए इन लोगों ने इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाने की भी पीएम मोदी से अपील की है। पूर्व नौकरशाहों ने अपने इस खुले खत में पीएम मोदी की ओर से इस तरह के घटनाओं को नंजरअंदाज करते हुए उन पर चुप्पी साध लेने को लेकर भी काफी सख्त भाषा में सवाल खड़े किए गए हैं।
‘सबका साथ, सबका विकास
इन पूर्व नौकरशाहों के समूह ने अपने खत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिया गए ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ वाले मंत्र को भी याद दिलाया है। उन्होंने कहा है कि, हम देश में नफरत से भरा विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न सिर्फ मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान भी है।
खत लिखने वालों में शामिल कई बड़े चेहरे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले पूर्व नौकरशाहों के समूह में कई नामी हस्तियां शामिल हैं। इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेएस नायर जैसे नाम हैं।
बीजेपी पर साधा निशाना
पीएम मोदी के लिखे खत में भारतीय जनता पार्टी पर सीधा निशाना साधा है। इस खत में बीजेपी की सरकारों में नफरत की राजनीति ज्यादा होने की बात कही है। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के इस वर्ष में पीएम को किसी भी तरह के ‘पक्षपातपूर्ण विचारों’ से ऊपर उठकर इस तरह की राजनीति को रोकना चाहिए।
नफरत की राजनीति में दिख रही एक आंधी
खत में पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे मामले पर चुप्पी को आने वाले वक्त के लिए बड़ा खतरा बताया है। चिट्ठी में कहा गया है कि हम देश में नफरत की राजनीति की एक आंधी देख रहे हैं, जिससे ना सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय बल्कि संविधान को भी चोट पहुंचाई जा रही है।