26/11 की 10वी बरसी : जानिए क्या हुआ था उस रात, आतंकी हमले से दहल गई थी मुंबई..

जानिए क्या हुआ था उस रात,  60 घंटे चले इस हमले में 166 लोगों की हुई थी मौत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को 26/11 मुंबई आतंकी हमले के शहीदों को याद किया। एक दशक पहले आज ही के दिन 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्र के रास्ते भारत में घुस आए थे और मुंबई में अलग-अलग स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 166 निर्दोष लोगों को मार डाला था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ”आज से दस वर्ष पहले मुंबई में हुए आतंकी हमलों से संतप्त व्यक्तियों और परिवारों को हम याद करते हैं। अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को हमारा नमन। न्याय को सुनिश्चित करने और आतंकवाद को परास्त करने के लिए भारत पूर्णतया प्रतिबद्ध है।”

जानें खौफ की पूरी दास्तां

कभी न थमने वाली मुंबई ( mumbai ) उस वक्त अचानक रुक गई. चारो-तरफ अफरातफरी मची थी. कोई कह था था यह गैंगवार है तो कोई पुलिस मुठभेड़, लेकिन जैसे जैसे शाम होने लगी तो इस हमले का भयानक चेहरा नजर आने लगा. भारत में यह सबसे बड़ा आतंकी ( terrorist ) हमला था. इस हमले को आज 26/11 Terror Attack के नाम से याद किया जाता है. इस आतंकी हमले को आज पूरे दस साल हो गए हैं. लेकिन खौफ का वो मंजर आज भी लगता हो कि जैसे कल की बात हो. आज से दस साल पहले मास्टर माइंड हाफिज सईद और जकीउर्रहमान लखवी ने साजिश रची थी. जिसके बाद 10 आतंकियों ने इस भयानक हमले को अंजाम दिया था.

इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए मुंबई पुलिस और एनएसजी की टीम इनमें से 9 आतंकियों को मार गिराया गया था और अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा गया था, जिसे साल 2012 में फांसी दी गई थी. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था और भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर आ गए थे. भारत किसी भी हाल में पाकिस्तान को छोड़ने को तैयार नहीं है. यही कारण है कि पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय पर जमकर कोसा. लेकिन दस साल बाद भी (Lashkar-e-Taiba) मास्टर माइंड हाफिज सईद और जकीउर्रहमान लखवी (Zakiur Rehman Lakhvi) आज भी पाकिस्तान में खुला घुम रहा हैं.

26/11 का वो खुनी मंजर…जानें उस हमले के एक एक पल का किस्सा  

समुद्र के रास्ते जब घुसे मुंबई में… 26 नवंबर, 2008 बुधवार के दिन शाम मुंबई के सीनें को छलनी करने के इरादे से आए आतंकियों का मुंबई में घुसने में कामयाब हुए थे. कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से दस आतंकी उतरे, छिपते-छिपाते हथियारों से लैस ये आतंकी कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और दो-दो गुटों में बंट गए.

10 दस आतंकियों टीम फिर बंट गई गुटों में…. इनमें से दो आतंकी यहूदी गेस्ट-हाउस नरीमन हाउस की तरफ बढ़े, जबकि दो आतंकी सीएसटी की तरफ. वहीं, दो-दो आतंकियों की टीम होटल ताजमहल की तरफ और बाकी बचे आतंकी होटल ट्राईडेंट ओबरॉय (Oberoi Trident) की तरफ बढ़ गए. इसके बाद इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकी लियोपोल्ड कैफे (Leopold Café) पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे वहां एक जोरदार धमाका किया. जिसके बाद मुंबई के लोगों में अफरा-तफरी शुरू हो गई.

प्रमुख ठिकानों को बनाया निशाना… इधर, आतंकियों की एक दूसरी टीम (जिसमें कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे) सीएसटी (Chhatrapati Shivaji Maharaj) पहुंची और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगी. देखते ही देखते इन आतंकियों ने 50 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वहीं आतंकियों की तीसरी टीम होटल ताजमहल और चौथी टीम होटल ट्राईडेंट ओबरॉय पहुंच गई और यहां भी आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. होटल ट्राईडेंट ओबरॉय में 30 से अधिक लोग मारे गए.

खेला मौत का तांडव… करीब 60 घंटे चले इस हमले में 166 से अधिक लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे. मरने वालों में 28 विदेशी नागरिक भी शामिल थे.

शहीद हुए जवान.. इस हमले में आतंकियों से लोहा लेते (Mumbai Police) महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालस्कर, आईपीएस अशोक कामटे और कॉन्स्टेबल संतोष जाधव शहीद हो गए. कई घंटों तक चली मुठभेड़ में आखिरकार राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) (National Security Guards)  ने 9 आतंकियों को मार गिराया और 10वें आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया.

इस दिन हुई कसाब को फांसी… इस आतंकी हमले में पकड़े गए एक मात्र जीवित आतंकी अजमल आमिर कसाब 8 नवंबर 2012 मौत की सज़ा दिए जाने की फ़ाइल महाराष्ट्र सरकार को भेजी गई. इसी दिन महाराष्ट्र सरकार ने 21 नवंबर को मौत की सज़ा देने का फ़ैसला किया और 21 नवंबर 2012: कसाब को सुबह 7:30 बजे फांसी दी गई.

जानिए कैसे बनाया था आतंकियों ने होटल ताज को अपना निशाना

आतंकियों का पहला निशाना

26 नवंबर 2008 को लश्‍कर के 10 आतंकी समंदर के रास्‍ते दाखिल हुए। उन्‍होंने 12 जगहों पर फायरिंग और बॉम्बिंग शुरू कर दी। लियोपोल्‍ड कैफ साउथ मुंबई का सबसे मशहूर रेस्‍टोरेंट और बार हैं। कोलाबा स्थित कैफे हमलों में निशाना बनने वाली सबसे पहली जगह था। दो आतंकियों ने यहां पर घुसते ही फायरिंग शुरू कर दी थी। यहां पर हुए हमलों में 10 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे।

लियोपोल्‍ड के बाद सीएसटी

मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मौजूद यात्रियों पर लश्‍कर के आतंकी अजमल कसाब ने घुसते ही गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी।सीएसटी पर आतंकियों ने 50 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी।हुसैनसागर एक्‍सप्रेस जो मुंबई से हैदराबाद के बीच चलती है, रात 9:30 बजे स्‍टेशन से गुजरी थी। इसके बाद मुंबई से पुणे के बीच चलने वाली इंद्रयाणी एक्‍सप्रेस स्‍टेशन पर पहुंची थी। ट्रेन के आते ही प्‍लेटफॉर्म 13 पर जोरदार धमाका हुआ और प्‍लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई थी। लोग इधर-उधर भाग रहे थे और मुस्‍कुराता हुआ कसाब मासूमों पर गोलियां बरसा रहा था। स्‍टेशन पर हमले में 104 लोग घायल हो गए थे।

होटल ताज में दाखिल हुए आतंकी

कुछ आतंकी करीब नौ बजे मुंबई के दो सबसे प्रतिष्ठित होटलों , होटल ताज और ओबेरॉय ट्राइडेंट में दाखिल हो गए। होटल ताज में छह धमाके हुए थे। वहीं एक धमाका ओबेरॉय ट्राइडेंट में हुआ। ताज में आतंकियों ने 200 लोगों को बंधक बनाकर रखा था।भले ही होटल ताज ने हमलों में सबसे ज्‍यादा नुकसान देखा लेकिन आज भी पर्यटकों का भरोसा इस पर कायम है। यह दोनों ही होटल सीएसटी से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर हैं

कामा अस्‍पताल को भी बनाया निशाना

विक्टोरिया टर्मिनल से निकलने के बाद हमलावर कामा अस्पताल पहुंच गए। जहां रात के दस बजते ही एक बड़ा धमाका हुआ, ये धमाका एक टैक्सी में हुआ क्योंकि उसमें बम रखा था और उसने टैक्सी ही नहीं लोगों के भी परखच्चे उड़ा दिए। कामा अस्पताल एक चैरिटेबल अस्पताल है, इसका निर्माण एक अमीर व्यापारी ने 1880 में कराया था। कामा अस्पताल के बाहर ही मुठभेड़ के दौरान आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक काम्टे और विजय सालसकर शहीद हुए थे।

ताज होटल में हर तरफ आतंकी

रात के तकरीबन 10 बजकर 15 मिनट हो चुके थे। आतंकवादी ताज महल होटल को निशाना बना चुके थे। गुंबद में लगी आग आज भी लोगों के जेहन में ताजा है, होटल पर जब हमला हुआ तो वहां डिनर का समय था और बहुत सारे लोग डिनर हॉल में जमा थे तभी अचानक अंधाधुंध गोलियाँ चलने लगीं। सरकारी आंकड़ों की मानें तो ताजमहल होटल में 31 लोग मारे गए और चार हमलावरों को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया था।

ओबेरॉय में 32 लोगों की मौत

ताज के बाद हमलावरों के निशाने पर ओबेरॉय होटल था,इस होटल में भी हमलावर ढेर सारे गोला-बारूद के साथ घुसे थे। माना जाता है कि उस समय उस होटल में 350 से ज़्यादा लोग मौजूद थे, यहां हमलावरों ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया? राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवानों ने यहां दोनों हमलावरों को मार दिया लेकिन तब तक 32 लोगों की जान जा चुकी थी।

चाबड हाउस

इसके अलावा हमलावरों ने नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया था यहां भी हमलावरों ने कई लोगों को बंधक बनाया था, जिस इमारत में हमलावर घुसे थे वह यहूदियों की मदद करने के लिए बनाया गया एक सेंटर था, यहां के हमलावरों से निपटने के लिए एनएसजी कमांडो को कार्रवाई करने के लिए हेलिकॉप्टर से बगल वाली इमारत में उतरना पड़ा था। यहां सात लोग और दो हमलावर मारे गए थे।

60 घंटे बाद ऑपरेशन खत्‍म

ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन भवन में दर्जनों लोगों की जानें हमलावरों के निशाने पर थी। इनसे निपटने के लिए सुरक्षा बल, एनएसजी, एटीएस, मुंबई पुलिस के जवान चारों तरफ फैल गए। ऑपरेशन शुरू हो गया। शुक्रवार रात साढ़े नौ बजे यानी कि अगले दिन तक होटल ताज, ओबेरॉय होटल, नरीमन भवन को आतंकियों के कब्जे से मुक्त करा लिया गया। ओबरॉय होटल से 50 ग्रेनेड मिले।

 

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