नई दिल्ली/श्रीनगर. जम्मू कश्मीर को विशेषाधिकार देनेवाले अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए टाल दी गई है। शीर्ष अदालत में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर की तरफ अपना पक्ष रख रहे अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां राज्य के स्थानीय चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। इस बीच, अलगाववादियों ने कश्मीर में दो दिन का बंद रखा है। इसके पहले दिन गुरुवार को कश्मीर घाटी में जन-जीवन पूरी तरह से ठप रहा।
जम्मू कश्मीर सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव कराने की तैयारी कर रही हैं। वहीं, केंद्र की तरफ से पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि पहले स्थानीय निकाय के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होने देना चाहिए। कश्मीर में आखिरी बार पंचायत के चुनाव 2011 में और शहरी निकायों के चुनाव 2005 में हुए थे। इस बार अक्टूबर में ये चुनाव हो सकते हैं।
क्या है अनुच्छेद 35A?
जम्मू-कश्मीर सरकार को अनुच्छेद 35ए के तहत मूल निवासियों की परिभाषा तय करने का विशेषाधिकार प्राप्त है। इसे 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर जोड़ा गया था। इसके तहत दूसरे राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में मकान या जमीन नहीं खरीद सकते हैं। इसके अलावा, राज्य में जन्मी महिलाएं अगर दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करती हैं तो उनका राज्य में संपत्ति खरीदने, मालिकाना हक रखने या पुश्तैनी संपत्ति अपने बच्चों को देने का अधिकार खत्म हो जाता है। पुरुषों पर यह नियम लागू नहीं होता।
पांच जिलों में सुरक्षा बढ़ाई गई :
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक ने अनुच्छेद 35 ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के विरोध में दो दिन की हड़ताल की घोषणा की थी। बंद को देखते हुए श्रीनगर, अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां सहित अन्य शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई। श्रीनगर के कई थाना क्षेत्रों में धारा 144 लगाई गई।