कोरोना वायरस संक्रमण और इस वजह से लगे लंबे लाॅकडाउन की वजह से साल 2020 में देश के सबसे प्रतिष्ठित माइनिंग संस्थान आइएसएम के 70 प्रतिशत छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिली। धनबाद स्थित आइएसएम को आइआइटी का दर्जा मिल चुका है और अब इस संस्थान को आइआइटी आइएसएम कहा जाता है। इस साल सत्र खत्म होने के बाद मात्र 30 प्रतिशत छात्रों को कंपनियों से ज्वानिंग मिली है जबकि 70 प्रतिशत छात्र इसके लिए प्रतीक्षरात हैं।
जबकि इससे उलट पिछला साल आइआइटी आइएसएम के छात्रों के लिए बहुत अच्छा बीता था। पिछले साल संस्थान के 650 से अधिक छात्रों को 100 कंपिनयों ने नौकरी दी थी।
इस साल जिन छात्रों को जो नौकरियां मिली भी हैं, वे आइटी कंपनियों की हैं और अधिकत छात्र वर्क फ्राॅम होम कर रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने हालात सामान्य होने तक आइआइटी आइएसएम के छात्रों की ज्वाइनिंग टाल दी है। पूर्व के सालों में अधिकतर छात्रों को जुलाई से सितंबर महीने के बीच ज्वाइनिंग मिल जाती है, लेकिन इस साल नवंबर का महीना आ जाने के बावजूद छात्र नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
हालांकि छात्रों के लिए राहत की बात है कि जिन कंपनियों से नौकरी के लिए उनकी बात हुई है, उन्होंने उन्हें वेटिंग में रखा है और ज्वाइनिंग को रद्द नहीं किया है। ऐसे में यह संभावना कायम है कि जब हालात सामान्य होंगे तो इन छात्रों को नौकरी मिल जाएगी।
आइएसएम के करियर डेवलपमेंट सेंटर के डाॅ पंकज जैन ने यह स्वीकार किया है कि काफी संख्या में छात्र अभी नौकरी के लिए प्रतीक्षारत हैं और कंपनियों ने उन्हें ज्वाइनिंग नहीं दी है।
कोल इंडिया अब नहीं करेंगी कैंपस सलेक्शन
सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया काफी संख्या में आइएसएम के छात्रों का चयन करती थी, लेकिन अब कंपनी उनका कैंपस सलेक्शन नहीं करेगी। कोल इंडिया अब केवल ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग, गेट उत्तीर्ण छात्रों को उनके मैरिट के आधार पर नौकरी आॅफर करेगी। कोल इंडिया के इस कदम से आइआइटी आइएसएम के छात्रों को बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि अबतक 60 से 65 छात्रों का यह यह कंपनी हर साल चयन करती रही है। कोल इंडिया के इस फैसले से सबसे अधिक माननिंग इंजीनियरिंग ब्रांच के छात्रों को नुकसान होगा।