₹79 हजार करोड़ के रक्षा सौदे को मंजूरी : सेना को मिलेंगे आत्मघाती ड्रोन, नए पिनाका रॉकेट, ड्रोन रडार…नेवी के लिए खरीदे जाएंगे…

रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को करीब 79,000 करोड़ रुपए के एडवांस हथियार और सैन्य उपकरण खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में ये फैसला लिया गया।

इससे नाग मिसाइल खरीदी जाएंगी, जो दुश्मन के टैंक और बंकर तबाह करने में सक्षम हैं। इसके अलावा आत्मघाती ड्रोन भी खरीदे जाएंगे। भारतीय सेना के पास अभी नागस्त्र-1 ड्रोन है, जिसकी रेंज 30 किमी तक है।

नेवी के लिए रिमोटली पॉयलेटेड एयरक्रॉफ्ट सिस्टम (RPAS) भी खरीदा जाएगा। यह भी एक तरह का ड्रोन है। इसे खासतौर से नेवी के लिए डिजाइन किया गया है।

एयरफोर्स के लिए ऑटोमेटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम खरीदा जाएगा। यह एक ऐसी तकनीक है जो किसी विमान या ड्रोन के टेक-ऑफ और लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया को अपने-आप रिकॉर्ड कर लेता है। इससे फ्लाइट सेफ्टी में सुधार होगा।

थल सेना के लिए

  • लॉयटर म्यूनिशन सिस्टम: Loiter Munition System (आत्मघाती ड्रोन) खरीद जाएगा। यह दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला करेगा।
  • लो लेवल लाइट वेट रडार्स: छोटे और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन/UAS की पहचान और ट्रैकिंग। ड्रोन खतरे से सुरक्षा के लिए इसका उपयोग किया जाएगा।
  • पिनाका मिसाइल: पिनाका रॉकेट सिस्टम की रेंज और सटीकता बढ़ाई जाएगी। हाई वैल्यू टारगेट पर लंबी दूरी से हमला करने में सक्षम है।
  • एंटी ड्रोन सिस्टम: मार्क-II का अपडेट वर्जन खरीदा जाएगा। यह दुश्मनों के ड्रोन की पहचान कर उन्हें हवा में खत्म कर देता है। बॉर्डर एरिया में तैनाती होगी।

नेवी के लिए

  • बोलार्ड पुल (बीपी) टग: एक मजबूत रस्सी खरीदी जाएगी। जिनका इस्तेमाल बंदरगाहों पर बड़े जहाजों को खींचने, मोड़ने के लिए किया जाएगा।
  • एचएफ एसडीआर: हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो लंबी दूरी तक कम्यूनिकेशन में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका उपयोग बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशन्स के दौरान होता है।
  • (HALE) आरपीएस: हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज एक तरह का रेडियो सिस्टम होता है। हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए किया जाता है।

एयरफोर्स के लिए

  • ऑटोमेटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम: एक ऐसी तकनीक/सिस्टम है जो किसी विमान या ड्रोन के टेक-ऑफ और लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया को अपने-आप रिकॉर्ड कर लेता है। इससे फ्लाइट सेफ्टी में सुधार होगा।
  • अस्त्र मार्क-II मिसाइल: यह एयर-टू-एयर मिसाइल है। इसका काम दुश्मन के फाइटर विमानों को लंबी दूरी से मार गिराना है। नई खरीद में रेंज पहले से ज्यादा होगी।
  • पायलट सिमुलेटर: तेजस फाइटर जेट के लिए पायलट सिमुलेटर तैयार किया जाएगा। इसका फायदा कम खर्च और ज्यादा सुरक्षित ट्रेनिंग देना है।
  • SPICE-1000 बम: SPICE-1000 ऐसा बम है जो लक्ष्य को पहचान कर उसी पर गिरता है। इसका वजन करीब 1000 पाउंड (लगभग 450 किलो) होता है। इसमें GPS और कैमरा सिस्टम लगा होता है।

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