
हाथरस केस को लेकर पूरे देश में बवाल मचा है. सूबे की योगी सरकार ने पीड़िता पक्ष को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का ऐलान किया है. हाथरस के एसपी, एसएसपी और संबंधित थाने के इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है. सूबे की योगी सरकार ने आरोपियों के नारको और पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का आदेश दिया है. कुल मिलाकर योगी सरकार ने गुनहगारों के खिलाफ नकेल कस दी है. इतना सब करने के बाद भी कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां रीजनीतिक रोटियां सेकने में लगी हैं. विपक्ष को पीड़िता को न्याय दिलाने से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि उसे योगी सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का कर अपनी खिसक चुकी राजनीतिक जमीन को फिर से हासिल करना है, ऐसा कहा जा रहा है.
केस से जुड़े ऐसे ऑडियो और वीडियो टेप सामने आए हैं, जिसमें कांग्रेस की भूमका पर सवाल उठे हैं. दंगा भड़काने की साजिश की भी खुलासा हुआ है. दिल्ली से हाथरस जाते हुए 4 PFI सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद अब मामले का जामिया यूनिवर्सिटी से कनेक्शन सामने आया है. पुलिस ने बताया है कि घटना की आड़ में प्रदेश में भड़काने की कोशिश हो रही थी, जिसके लिए वेबसाइट बनाकर और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए फंड इकट्ठा किया जा रहा था. फंडिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का जांच सौंप दी गई है. अब हम आपको बताएंगे कि ईडी ने फंडिंग को लेकर क्या बड़ा खुलासा किया है.
मीडिया रिर्पोट्स के अनुसार ईडी की शुरुआती जांच में पता चला है कि हाथरस कांड की आड़ में जातीय हिंसा फैलाने के लिए मांरीशस से 50 करोड़ रुपए की फंडिंग की गई है. बताया जा रहा है कि इसके अलावा और भी फंडिंग की गई है जो 100 करोड़ से अधिक रुपए की थी. फिलहाल इस मामले की जांच जारी है.
जस्टिस फांर हाथरस-
ईडी के एक अधिकारी के मुताबिक, हाथरस की पुलिस ने एक वेबसाइट को लेकर केस दर्ज किया है. इसके बाद एजेंसी इसमें जांच का एंगल देखेंगी. इस वेबसाइट के जरिए ‘जस्टिस फांर हाथरस’ के लिए मुहिम चलाई गई. सूत्रों का कहना है कि ऐसे में ईडी जल्द ही PMLA के तहत इसमें मामला दर्ज कर फंडिंग पर जांच शुरू कर सकती है. साथ ही जल्द ही कई गिरफ्तारियां देखने को मिल सकती हैं.
बता दें, कि यूपी पुलिस का दावा है कि हाथरस को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई. जिसके कारण माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और एक जाति से दूसरी जाति में लड़ाई करवाने की कोशिश की गई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में एक्शन की बात कही थी, साथ ही विपक्ष पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि यूपी के हाथरस में बीते 14 सितंबर को एक दलित युवती का गैंगरेप हुआ था, जिसके बाद दिल्ली में 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई. मौत के बाद जिस तरह यूपी पुलिस ने युवती का अंतिम संस्कार अनन-फानन में रात के अंधेरे में ही कर दिया, उस पर काफी विवाद हुआ. राजनीतिक दलों से लेकर कई सामाजिक संगठनों ने यूपी सरकार पर सवाल खड़े किए.















