
कड़कनाथ मुर्गा मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल जिले झाबुआ और धार की खास पहचान बन गया है. इस मुर्गे की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. वहीं कुछ दिन पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने भी इस नस्ल के मुर्गे का पालन शुरू किया है. बढ़ती ठंड के साथ इस मुर्गे की मांग बढ़ जाती है. जहां बायलर या देसी मुर्गा 200 रूपये से 700 रूपये किलो तक बिकता है वहीं कड़कनाथ मुर्गा 900 से 1200 रूपये किलो बिकता है. वहीं इसके एक अंडे की कीमत 50 रूपये होती है. जबकि कड़कनाथ मुर्गी 3 हजार से 4 हजार रूपये में मिलती है. ऐसे में इस नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों का पालन करके शानदार कमाई की जा सकती है. सरकार से लोन लेकर भी कड़कनाथ मुर्गा का पालन किया जा सकता है.
मध्य प्रदेश सरकार की योजना
मध्य प्रदेश सरकार कड़कनाथ नस्ल के मुर्गा संरक्षण और संवर्धन के लिए यह योजना चला रही है. यह योजना प्रदेश के सभी वर्ग के लोगों के लिए है. इस योजना के तहत राज्य सरकार कड़कनाथ के 40 चूजों के पालन के लिए 4400 रूपये का अनुदान देती है. इस योजना का लाभ प्रदेश के सभी जिलों के लोग ले सकते हैं.
4400 रुपये का अनुदान
राज्य सरकार कड़कनाथ के 40 चूजों के लिए 2600 रूपये प्रदान करती है. प्रत्येक चूजे की कीमत 65 रूपये पड़ती है.
प्रत्येक चूजे को टीका लगाया जाता है जिसके लिए सरकार 200 रूपये प्रदान करती है. टीके का खर्च प्रत्येक चूजे पर 5 रूपये पड़ता है.
चूजों को ले जाने के लिए सरकार 220 रूपये प्रदान करती है.
एक चूजे को प्रतिदिन 48 ग्राम आहार खिलाना पड़ता है. 30 दिनों के आहार के लिए राज्य सरकार 1390 रूपये प्रदान करती है.
25 प्रतिशत राशि हितग्राही की
इस तरह राज्य सरकार कड़कनाथ चूजों को पालने के लिए 4400 रूपये की अनुदान राशि देती है जो कि कुल इकाई का 75 प्रतिशत होती है. शेष 25 प्रतिशत राशि हितग्राहियों को देना पड़ती है.
योजना का लाभ कैसे लें?
इस योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित जिले के पशु चिकित्सा अधिकारी या फिर पशु औषधालय के प्रभारी या उपसंचालक पशु चिकित्सा से संपर्क करें.
SBI से लोन कैसे लें ?
इसके अलावा पोल्ट्री फार्मिंग के लिए भारतीय स्टेट बैंक भी लोन प्रदान करता है. एसबीआई से कुल इकाई का 75 प्रतिशत तक लोन आसानी से मिल जाता है. 5 हजार मुर्गियों के पालन के लिए एसबीआई 3 लाख रुपये तक का लोन देता है. यहां से आप पोल्ट्री फार्मिंग पर 9 लाख रुपये तक लोन ले सकते हैं. लोन को चुकाने के लिए बैंक 5 साल का समय देती है.
खबर साभार- कृषि जागरण















