
–मुक्त विश्वविद्यालय में साप्ताहिक अटल महोत्सव का आयोजन
–श्रम एवं समर्पण से शीर्ष पर पहुंचे अटल बिहारी-प्रोफेसर सिंह
प्रयागराज। पत्रकारिता में नैतिकता के लिए आज डिजिटल सत्याग्रह की आवश्यकता है। डिजिटल सत्याग्रह के माध्यम से जनता को जागृत किया जाए कि वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए बुरा मत टाइप करें, बुरा मत लाइक करें और बुरा मत शेयर करें। मीडिया प्रोडक्ट है तो हम भी उपभोक्ता और पाठक हैं। खबरों में मिलावट है तो उसके खिलाफ खड़े होना चाहिए। सही खबरों की पड़ताल के साथ-साथ फेक खबरों को पहचानने की भी कोशिश होनी चाहिए।उक्त वक्तव्य प्रोफेसर संजय द्विवेदी, महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी)नई दिल्ली ने रविवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज में साप्ताहिक अटल जन्मोत्सव के अंतर्गत आयोजित व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर द्विवेदी ने पत्रकारिता में नैतिकता, मुद्दे और चुनौतियां विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि मीडिया की नैतिकता तब सुधरेगी जब संपूर्ण समाज एवं परिवार में नैतिकता की भाव भावना जागृत होगी।प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज न्यूज़ चैनल व्यूज चैनल में बदल गए हैं।समाज में फेक न्यूज़ और हेट न्यूज़ का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज़ दरअसल यलो जर्नलिज्म का ही नया रूपांतरण है, जबकि समाज में कड़वाहट पैदा करने के लिए हेट न्यूज़ बनाई जाती है। डिजिटल मीडिया के द्वारा इसे नियंत्रित करना कठिन हो रहा है। हर व्यक्ति को पत्रकार नहीं कहा जा सकता। सोशल मीडिया पर जो एक्टिव है, वह पत्रकार नहीं है।
समाचार केवल पत्रकार ही लिख सकता है। समाचार को किस तरह से लिखा जाए यह प्रशिक्षण से सीखा जा सकता है।प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज हमें मूल्य आधारित पत्रकारिता की तरफ बढ़ना पड़ेगा नहीं तो न पत्रकारिता बचेगी न ही देश बचेगा। तथ्यों को तोड़े मरोड़े बिना खबर प्रस्तुत करनी पड़ेगी। कहा कि आज समाचार के भीतर विचार एवं विज्ञापन समाहित किए जा रहे हैं। समाचार में अपेक्षित तटस्थता का भाव रखना चाहिए। आज जर्नलिस्ट की कुर्सी पर एक्टिविस्ट आकर बैठ गए हैं। तथ्यों का सही रूप में निरूपण करना पत्रकार का ध्येय है, जबकि एक्टिविस्ट अपने अनुसार पत्रकारिता की दिशा तय करते हैं जो ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी दिशाओं से अच्छे विचारों को आने देना चाहिए। आज दुनिया के अंदर जिस तरह योग को स्वीकारा गया है, उससे हमारे देश का मान सम्मान बढ़ा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले युवाओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वह जिस क्षेत्र में जाएं पूरी प्रमाणिकता के साथ काम करें। अच्छे व्यक्तियों का निर्माण करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। समाज में मूल्यों की स्थापना होगी तो मीडिया भी उसका अनुसरण करेगा।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति थी। विलक्षण लोग जीवन के हर क्षेत्र में मानक स्थापित करते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में अटल जी ने भी एक मानक स्थापित किया। आज जिस तरह से पत्रकारिता बाजारवाद की भेंट चढ़ चुकी है, इससे हम सबको बचने की जरूरत है। पत्रकारिता के क्षेत्र में जाने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में जो लोग कैरियर देख रहे हैं उन्हें किसी भी खबर को सनसनीखेज बनाने से रोकना होगा। इसके साथ ही चौंकाने वाले समाचारों से बचना होगा। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि सूचनाओं का प्रवाह जारी रहेगा। हमें केवल इसके खतरों से आगाह करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अटल जी निष्पक्ष एवं नैतिकता पूर्ण पत्रकारिता, लेखन आदि कार्यों के लिए युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। अटल जी परिश्रम एवं समर्पण की बदौलत ही शीर्ष पर पहुंचे। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन श्री परविन्द कुमार वर्मा तथा वाचिक स्वागत एवं विषय प्रवर्तन अटल बिहारी वाजपेई सुशासन पीठ के निदेशक प्रोफेसर पीके पांडे ने किया। अतिथियों का परिचय स्वागत डॉक्टर नीता मिश्रा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ अरुण कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर पी पी दुबे, प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, प्रोफेसर रुचि बाजपेई तथा डॉ प्रभात चंद्र मिश्र आदि उपस्थित रहे।










