गांवों के विकास की ‘नीति’ पर होगा पंचायत चुनाव का ‘रण’


लखनऊ। देश के साथ प्रदेश में हर चुनाव को पूरे दमखम से लडऩे वाली भाजपा उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियों में भी प्रतिद्वंद्वी दलों से कहीं आगे नजर आ रही है। बेशक, यह चुनाव पार्टी सिंबल पर न लड़ा जा रहा हो, लेकिन पार्टी उन ‘कुशलÓ उम्मीदवारों की जीत के लिए जुटी है, जो भाजपा के गांव, गरीब और किसान के एजेंडे में सहभागी बनें।


गांवों के विकास की नीति पर ही पंचायत चुनाव का रण सजा रहे प्रदेश प्रभारी पूर्व केंद्र्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह को यही टीस है कि मोदी-योगी सरकार ने सबसे अधिक पैसा गांवों के लिए दिया, लेकिन जनप्रतिनिधियों की अकुशलता से वह पूरा खर्च नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में होने जा रहे पंचायत चुनाव को भी भाजपा पूरे दमखम के साथ लड़ेगी।

चुनाव के मद्देनजर पार्टी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह ने खुद भी सूबे में डेरा जमा लिया है। लखनऊ में भाजपा प्रदेश मुख्यालय में अनौपचारिक बातचीत के दौरान राधा मोहन सिंह बाकायदा आंकड़ों के साथ बताते हैं कि जब से केंद्र में मोदी सरकार है, तब से उत्तर प्रदेश के गांवों के लिए कहीं अधिक धनराशि दी गई है। 13वें वित्त आयोग से जहां यूपी को 2.92 लाख करोड़ रुपये मिले, वहीं 14वें वित्त आयोग से सात लाख करोड़ रुपये से अधिक दिए गए। राज्य की योगी सरकार भी गांवों के लिए खूब पैसा दे रही है। ऐसे में गांवों के चौमुखी विकास के लिए जरूरी है कि पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पद की कमान कुशल हाथों में रहे। कुशल नेतृत्व न होने का ही नतीजा है कि तकरीबन 18 अरब रुपये गांवों में खर्च नहीं हो सके और प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो गया। प्रदेश प्रभारी कहते हैं कि यदि पंचायतों के प्रतिनिधि अच्छे होंगे तो ग्रामवासियों की भलाई में ही धन का सदुपयोग होगा।

खबरें और भी हैं...