एलईडी बल्ब और सोलर लैम्प बनाकर ये महिलाएं कमा रही है अच्छा मुनाफा!

मुसहर समाज के बारे में सुनते ही हमे ऐसे लोगों की याद आती है, जिनका जीवन गरीबी, बेबसी और अभावों में गुजर रहा है. लेकिन आज हम आपको इसी समाज की कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने लगन और मेहनत से अच्छी जिंदगी जी रही हैं.

90 दिन में बदल गया जीवन

बिहार के कुशीनगर में दलित समाज की ग्रामीण महिलाएं सोलर लैंप, एलईडी बल्ब, टॉर्च आदि बनाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. इतना ही नहीं, ये महिलाएं एंड्राइड फोन पर वीडियो बनाकर उसे लोगों के साथ शेयर भी कर रही हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन महिलाओं का जीवन केवल 90 दिन में बदल गया है.

ऑनलाइन का काम भी सीखा

गौरतलब है कि मानव सेवा संस्थान राजपुर आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र से तीन महीने का प्रशिक्षण प्राप्त कर इन महिलाओं ने सोलर लैंप और एलईडी बल्ब बनाने का काम सीखा है. इस दौरान इन महिलाओं ने डिजिटल शिक्षा, जिसमें- एंड्रायड फोन चलाना, यू-ट्यूब पर वीडियो डालना, इंटरनेट चलाना, मोबाइल बैकिंग करना आदि सीखा है. अब ये महिलाएं सोलर लैम्प, एलईडी बल्ब आदि बेचकर ऑनलाइन पेमेंट ले लेती है.सोशल मीडिया पर करती है प्रचार

अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए ये फेसबुक और व्हाट्सएप का सहारा लेती है. सोलर लाइटों को बेचने के लिए ये महिलाएं गांव-देहात में साईकल से भी जाती है. महिलाओं ने अपना-अपना जनधन खाता भी खोल लिया है, जहां वो अपनी बचत का पैसा जमा करा देती है. उनकी इस सफलता से ग्रामीण समाज की अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिला है और वो भी काम सीखने के लिए घरों से बाहर आ रही हैं.

अपने काम का करवाया रजिस्ट्रशेन

इन महिलाओं ने अपने काम का रजिस्ट्रेशन उद्दोग आधार के तहत करवा रखा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा लघु उद्योगों को मिल रहे लाभों में ये हिस्सा बन पाती है. महिलाओं ने बताया कि शुरू में ये डर लगा रहता था कि हम काम करेंगे तो बच्चों की देखभाल कौन करेगा, फिर आंगनवाड़ी के बारे में पता चला. अंततः बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें वहां छोड़ने का निश्चय हुआ. आंगनवाड़ी में बच्चों को किसी तरह की दिक्कत नहीं आई.

अन्य महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा

जानकारी के मुताबिक आज ये महिलाएं सोलर, लैम्प और एलईडी बल्ब बनाकर अच्छा मुनाफा कमा ले रही है और घर के खर्च में अपना योगदान दे रही हैं. मुनाफे की बात करें तो फिलहाल इस काम से इन्हें हर महीने औसत 25 से 30 हजार की कमाई हो जाती है.

खबर साभार : कृषि जागरण