
अचलगंज(भास्कर)। जिले के हड़हा गांव के तालाब में रह रही बतखों के बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद पशु चिकित्सको की टीम ने शुक्रवार की सुबह मौके पर पहुंच कर संक्रमित बतखों के किलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी साथ ही उन्हें दफन भी कर दिया गया।
मुख्य पशुपालन अधिकारी डॉ पीके सिंह ब्लॉक पशु चिकित्सक डॉ नरेंद्र वर्मा के साथ बीस डाक्टरो व फार्मासिस्ट की टीम ने तालाब से बतखें पकड़ कर इन्हें बेहोस करने के बाद मिट्टी में दफन किया। साथ ही गांव में अन्य जगह घूम रही बतखों व मुर्गे आदि भी पकड़े। डॉ पीके सिंह ने बताया कि तालाब से कुल संक्रमित 66 बतखों व एक किलोमीटर एरिया के अन्यर्गत मिले 55 मुर्गे मुर्गियों की किलिंग की गई। जिन्हें गुणित 2 मीटर के आकर के गड्ढो में चूना नमक व ब्लीच डाल कर दफन किया गया है। आज से एक किमी परिक्षेत्र के रेड जोन घोषित एरिया के पोल्ट्री फर्मो से भी सैम्पलिंग कराई जा रही है। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो वहां के सारे मुर्गे मुर्गियां भी मार दिए जाएंगे। उन्होंने बताया की बर्ड फ्लू की यह एच 5 व एन 8 जेनरेशन की बीमारी है जो पक्षियों में तेजी से फैल रही है। इसके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति या जानवर को भी हो सकती है। हालांकि यह सीधे संक्रमित पक्षी से आने वाले व्यक्ति हो ही होती है।
आदमी से आदमी के नही फैलती है। उन्होंने बताया पूरे क्षेत्र के तीन चरण बनाये गए हैं जिनमे पक्षियों को पकड़ने व मारने की प्रक्रिया चलेगी पहले चरण में तीन किमी का दायरा लिया जाएगा। जो अगले चरण में छह किमी हो जायेगा आखिरी चरण में दस किमी दायरे के अंदर के बीमार या पल रहे पक्षियों को पकड़ा जाएगा व सैपलिग की जाएगी। थाना अध्यक्ष अतुल तिवारी ने बताया कि साप्ताहिक बाजारों तथा अन्य मीट की दुकानों को बंद करने व बीमार पक्षियों से दूर रहने व फौरन प्रशासन को सूचना देने के लिए पूरे क्षेत्र मे माइक से कहलवा दिया गया है। उन्होंने ने बताया कि एक किलोमीटर क्षेत्र में जिसके यहाँ भी मुर्गे व कबूतर पले हो वह सूचित करें उन्हें भी पकड़ा जाएगा।
यू ंतो अकारण मरना बेजुबानों की नियति ही है लेकिन कुछ दृश्य ऐसे पेश आते जो सोंचने पर विवश पर कर देते हैं। बर्ड फ्लू संक्रमण के भय में हड़हा में हुई कार्यवाही के दौरान भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। वर्षों से पल रही बतखों से ग्रामीणों का इतना लगाव हो गया था कि जब किलिंग की कार्रवाई को अंजाम देने अमला पहुंचा तो सैकड़ो ग्रामीण इकठ्ठा हो गये। ग्रामीणों ने विभाग के लोगों से मारने के अलावा किसी अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा। हलांकि किसी अन्य विकल्प के अभाव में डाॅक्टरों ने शासनादेश का हवाला देते बेबसी जताई।











