
- एसपी और सीओ ने स्वयं संज्ञान लेकर कराई जांच, पुलिस ने आरोपी को भेजा जेल
किशनी/मैनपुरी- बहुचर्चित हाकिम सिंह हत्याकाण्ड का थाना पुलिस ने गुरूवार को पटाक्षेप कर दिया। बतादें कि मृतक के परिजनों ने पहले मृतक की मौत का कारण आत्महत्या बता कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया था।
गत 10 फरवरी को पुलिस को सूचना मिली थी कि थाना क्षेत्र के गांव हरचन्द्रपुर कुसमरा में एक ब्यक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। परिजनों ने भी पुलिस को मृत्यु का कारण आत्महत्या ही बताया था। पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम कराया था। परन्तु पोस्टमार्टम रिपोर्ट कुछ और ही बयां कर रही थी। रिपोर्ट में कहा गया कि मृतक की मृत्यु आत्महत्या न होकर गला दबाकर हत्या बताया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस अधीक्षक ने मामले में स्वयं संज्ञान लिया और इंस्पेक्टर अजीत सिंह को मामले की तह में जाकर हत्या का सुराग लगाने का आदेश दिया। इंस्पेक्टर अजीत सिंह की अगुआई में थाना पुलिस तथा कुसमरा चैकी पुलिस ने कई लोगों ने गहन पूछताछ की और कई संदिग्ध स्थानों पर दबिसें भी दीं। अंत में मेहनत रंग लाई और मामले की परतें दर परतें खुलतीं चलीं गई। गुरूवार को सीओ अमरबहादुर के नेतृत्व में थाने में पीसी का आयोजन किया गया। जिसमें सारी घटना का सिलसिलेवार रहस्योद्घाटन किया गया। पुलिस के अनुसार मृतक हाकिम सिंह के बडे भाई राम विलास की शादी सुदामा देवी के साथ करीब पैंतीस वर्ष पूर्व हुई थी। उनसे सुदामा देवी के तीन पुत्र और एक पुत्री पैदा हुये थे।
करीब छब्बीस वर्ष पूर्व रामविलास की मृत्यु हो गई। समाज के लोगों की पहल पर वेवा सुदामा देवी ने अपने देवर मृतक हाकिम सिंह से शादी कर ली। जिनसे सुदामा देवी के दो पुत्रियां नीतू व रैनू पैदा हुई। रैनू ने करीब 15 माह पूर्व आत्महत्या कर ली थी। इस प्रकार मृतक हाकिम सिंह की एक पुत्री नीतू ही जीवित बची है जो शादी सुदा भी है। मृतक हाकिम सिंह के बडे भाई सरदार सिंह, हाकिम सिंह तथा उनके भतीजे नरेन्द्र, अशोक व इन्द्रेश की छः बीघा जमीन कुसमरा मैनपुरी मार्ग पर है। जिसमें एक मकान भी बना हुआ है। उक्त जमीन को तीनों पक्षकारों ने गांव परशुरामपुर निवासी नीरज यादव को दो करोड़ 71 लाख में बेचना तय कर दिया था। जिसमें एक करोड़ 19 लाख की रकम उक्त लोगों को मिल भी चुकी थी। हाकिम सिंह अपने हिस्से की जमीन के पैसे अपनी बेटी नीतू को देना चाहता था।
जिससे उनका भतीजा अशोक खासा नाराज हो गया। अशोक स्वयं भी अपना निजी रोजगार खोलने के लिये हाकिम सिंह से पैसे चाहता था। हाकिम सिंह द्वारा अशोक को पैसे न देने पर वह आग बबूला हो गया और 10 फरवरी को हाकिम सिंह के गले में रस्सी डाल उसका गला घोंट दिया और पुलिस व अन्य सभी लोगों को गुमराह करने के लिये आत्महत्या का रूप दे दिया। पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उनका सारा खेल बिगाड दिया।
पुलिस ने गहनता से जांच की और गुरूवार को आरोपी अशोक कुमार पुत्र रामविलास को यादव नगर चैराहे पर हिरासत में ले लिया तथा हत्या का मुकद्दमा लिखकर उसे जेल भेज दिया। आरोपी की निशान देही पर पुलिस ने हत्या में प्रयोग की गई रस्सी भी बरामद कर ली। इस हत्याकाण्ड का खुलासा करने के लिये इंस्पेक्टर अजीतसिंह, प्रवीण कुमार, रतनेश कुमार तथा शिवसिंह ने काफी प्रयास किया। हत्याकाण्ड का खुलासा करने पर पुलिस अधीक्षक ने इंस्पेक्टर की पीठ थपथपाई है।











