पुलिस ने आंदोलन खाली करने के लगाए पोस्टर, किसान नेताओं का आया रिएक्शन!

किसान आंदोलन की आड़ में साजिश करने वाली की पोल खुलने के बाद से ही दिल्ली पुलिस एक्शन मोड़ में नज़र आ रही है. खासकर किसानों की ट्रैक्टर रैली के नाम पर हिंसाई भीड़ ने जो उत्पात मचाया. उसके बाद से तो पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. इसलिए अब पुलिस का प्लान है कि इस आंदोलन को जल्द से जल्द खाली कराया जाए नहीं तो फिर से किसानों का नाम बदनाम करते हुए कोई साजिश रची जा सकती है. क्यों कि ये पूरा देश देख रहा है कि किसान आंदोलन कैसे धीरे-धीरे अब सियासत का अड्डा बनता जा रहा है. राकेश टिकैत जैसे किसान नेता अपनी ठेकेदारी चमकाने के लिए नई-नई पैंतरेबाजी को हथियार बनाते हुए दिख रहे हैं. लगातार ऐसे भड़काऊ बयान दे रहे जिससे किसानों का ही नुकसान हो.

अब खबर है कि दिल्ली पुलिस ने सीमा पर आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. जहाँ गाजीपुर बॉर्डर पर उन्हें जगह खाली करने को कहा गया है, तो वहीं टिकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है. दिल्ली पुलिस की ओर से गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की गिरफ्तारी और टिकरी बॉर्डर पर लगाये गए नोटिस के बाद किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने इन दोनों मामलों को केंद्र सरकार की कार्रवाई बताते हुए कड़ा विरोध जताया है. 

इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से डॉ. दर्शनपाल ने बयान जारी करते हुए इन कार्रवाई को किसानों को बदनाम करने की साजिश बताया. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई से किसान आंदोलन कमजोर होने के बजाय मजबूत होता जाएगा.

दर्शन पाल ने दो नेताओं के समर्थकों के बीच हुई झड़प को बीजेपी नेताओं की ओर से किसानों से मारपीट’ करार दिया. उन्होंने कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के संघर्ष को बदनाम करने आए बीजेपी के नेता और कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ मारपीट की. पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करने की बजाय किसानों को ही गिरफ्तार कर लिया. जबकि सच ये है कि मुजफ्फरनगर में जो कुछ भी हुआ वो राजनीतिक विरोध था. उसमें बीजेपी सांसद संजीव बालियान के समर्थक और RLD नेता जयंत चौधरी के समर्थक के बीच के विवाद का मामला था. 

दरअसल टिकरी धरने पर दिल्ली पुलिस की ओर से कुछ पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें किसानों से धरनास्थल खाली करने की चेतावनी दी गयी है. दिल्ली की सीमा पर लगभग तीन महीने से ज्यादा वक्त से किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की घोषणा के बाद किसानों ने दिल्ली में जिस तरह से उपद्रव किया था उसके बाद कुछ संगठन अलग हो गए थे.

किसान नेता का कहना है कि हम पुलिस के इस कदम का विरोध करते हैं और किसानों से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध जारी रखें. इस तरह की धमकियां और चेतावनी से किसान आंदोलन को खत्म करने की साजिशों का सख्त विरोध किया जाएगा और इससे किसान संघर्ष ओर मजबूत होगा. 

भले ही किसान नेता आंदोलन को खत्म करने की साजिश का आरोप लगा रहे हों मगर सच ये भी है कि अब धीरे धीरे प्रदर्शनकारी किसान खुद ही आंदोलन छोड़कर अपनी घर की ओर रूख कर रहे हैं. क्यों किसान अब इस आंदोलन के खेल को समझ गए हैं.

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