ऋषि मुनियों तपोस्थली मैनपुरी अभी भी नहीं बन सकी पर्यटन स्थल

  • अपने आप में कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं
    प्रवीण पाण्डेय/मुकेश चतुर्वेदी

औंछा/मैनपुरी। कस्बा को ऋषि मुनियों की तपोस्थली के नाम से जाना जाता है। यह ऋषि मुनियों की तपोस्थली अभी तक पर्यटन स्थल नहीं बन सकी है। जब कि पुरातत्व विभाग की टीम यहां पर सर्वे भी कर चुकी है। फिर तपोस्थली पर्यटन स्थल बनने का इंतजार कर रही है।

ज्ञात हो कि ऋषि मुनियों की धरती के नाम से जाने वाले औंछा को पर्यटन स्थल बनाने के लिए कवायद तो बहुत हुई लेकिन वह कवायद रंग नहीं लाई। कस्वा में पांच वर्ष पहले खुदाई के दौरान विशाल नर कंकाल मिलने के बाद आगरा से पुरातत्व विभाग की टीम यहां पहुंची थी। तीन दिन तक किए गए सर्वे के बाद टीम ने यहां के पौराणिक महत्व को देखते हुए इसे पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उस पर भी पहल नहीं होने से प्रस्ताव पूरा नहीं हो सका।

राजनाथ सरकार में दिया था प्रस्ताव
यूपी में जब भाजपा की राजनाथ सिंह की सरकार सत्ता में थी। तब पर्यटन मंत्री रहे अशोक यादव ने भी औंछा को पर्यटक स्थल बनाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उस प्रस्ताव पर आज तक अमल नहीं हुआ।

कद्दावर नेता भी नहीं बनवा पाए पर्यटन स्थल
मैनपुरी से कई कद्दावर नेता चुने गए। यहां से चुने गए नेता मंत्री तक बने लेकिन आज तक ऋषि मुनियों की तपोस्थली पर्यटन स्थल नहीं बन सकी। तपोस्थली को पर्यटन स्थल बनाने के लिए आवाज तो कई बार उठी लेकिन वह आवाज यहीं पर दबकर रह गई। शायद इसीलिए तपोस्थली पर्यटन स्थल नहीं बन सकी।

कई पौराणिक कथाओं को अपने आप में समेटे है औंछा
औंछा का क्षेत्र अपने आंचल में तमाम पौराणिक कथाओं को समेटे हुए है। प्राचीन समय में यहां के विशाल टीले की खुदाई के दौरान मिलने वाले भगवान के अवशेष यहां की प्राचीनता का बोध कराते हैं। कस्वा में च्वयन ऋषि का मंदिर प्रमुख है। यहां के वयोवृद्ध रामसिंह यादव बताते हैं कि यहां की धरती ऋषि मुनियों के नाम से जानी जाती है। एक बार च्यवन ऋषि तपस्या में लीन थे। लीन भी ऐसे थे कि उनके आसपास दीमक ने घर बना लिया जिससे वह नजर नहीं आ रहे थे। जब तक च्यवन ऋषि को जवान बनाने वाला च्यवनप्राश भी यहीं बना था।

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