Bank Strike : लगातार दो दिन बंद रहेंगे बैंक, जानें हड़ताल की वजह

Bank Strike: सरकारी सेक्टर के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण (Public Sector Banks Privatisation) के विरोध में कर्मचारी संगठनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल (Bank strike) के चलते सोमवार और मंगलवार को देश भर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. हड़ताल के कारण जमा और निकासी, चेक क्लीयरेंस और लोन मंजूरी जैसी सर्विस पर असर पड़ सकता है.

9 बैंक यूनियनों (Bank unions) के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन (United Forum of Bank Unions-UFBU) ने दावा किया है कि बैंकों के लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में भाग लेंगे.

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में कामकाज पर असर पड़ सकता है.

बैंकों ने यह भी बताया कि वे बैंक शाखाओं और कार्यालयों के कामकाज सामान्य रहने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं.

बजट में प्राइवेटाइजेशन की घोषणा (PSBs privatisation)

पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट (Budget 2021) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी.

बैठक रही बेनतीजा
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (All India Bank Employees Association-AIBEA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम (CH Venkatachalam) ने कहा कि 4, 9 और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठकें बेनतीजा रहीं, इसलिए हड़ताल होगी.

ये यूनियन होंगी हड़ताल में शामिल
यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (NCBE), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) और बैंक इम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (BECI) आदि शामिल हैं.

इंडियन नेशल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (INBEF), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC), नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW) और नेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक आफीसर्स (NOBO) भी हड़ताल की अपनी में शामिल हैं.

14 बैंकों का हो चुका है मर्जर
केंद्र सरकार साल 2019 में ही LIC में IDBI Bank का हिस्सा बेच चुकी है. इसके साथ ही पिछले 4 सालों में 14 सार्वजनिक बैंकों का मर्जर किया है. अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं. उसके बाद इनकी संख्या घटकर 10 रह जाएगी. दो बैंकों का निजीकरण इस साल प्रस्तावित है.

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