होली के पर्व पर रिफाइण्ड और वनस्पति घी में जबरदस्त उछाल से कैसे मनेगी होली

- कैसे तलेंगीं गरीब के घरों पूडियां
किशनी/मैनपुरी। सखि सैंया तो खूबइ कमात हैं मंहगाई डायन खाते जात है। उक्त कहावत इस होली को शत प्रतिशत सच होने जा रही है। किराना बाजार में वनस्पति तेलों पर फूटा मंहगाई का बम आम जनमानस को बेहाल किये है। यदि यही हाल रहा तो होली अब हो चुकी।
एक साल में ही वनस्पति तेलों में वह महगाई आई है जिसने आम जनमानस को झकझोर कर रख दिया है। मंहगाई ने जहां गृहणियों का बजट बिगाड दिया है वहीं वनस्पति तेलों से बनाई जाने वाली वस्तुओं में भी तेजी छाई हुई है। पिछली होली की बात छोड भी दें और दीपावली की बात करें तो पता चलेगा कि पिछले कुछ ही माह के अन्तराल में 15 किलो टीन पर करीब आठ सौ रूपये की मंहगाई चढ चुकी है। एक एक लीटर वनस्पति घी और रिफाइन के पैकेट पर तीस रूपये तक मंहगाई आ चुकी है।
वनस्पति तेलों में आई मंहगाई के कारण रेस्टोरेंटों में बनने वाली वस्तुओं में तेजी आ गई है। दुकानदारों की मजबूरी है कि या तो वह समौसे, टिक्की आदि की कीमत बढायें अथवा उनकी गुणवत्ता में कमी लायें। लोगों का कहना है कि आम दिनों में तो वह वनस्पति तेलों का उपयोग अपनी जेब के हिसाब से ही करेंगे। पर होली के त्यौहार पर बच्चों के मन को कैसे समझायेंगे। इसके अलावा एलपीजी सिलेंडरों ने भी अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। इसीलिये अब लोग कहने लगे हंै कि होली तो अब होली










