‘उड़ान’ : ईपीएफओ में अपर आयुक्त सुश्री मृदुला घई की प्रेरक कविता

उड़ान

खेतोंकी

मुंडेरोंपर

कूदतीनाचती

बारिशकी

बूँदोंसे

अठखेलियाँकरती

खूबइठलाती

पैरोंसे

सुरमें

पानीछप-छपाती

झूमतीमुस्कुराती

साथियोंसंग

खेलती रंग

पत्तानैय्या

बिनखव्वैया

दौड़लगाती

जीतजाती

तितलीपकड़

रंगजकड़

सपनेंरंगती

पूरेकरती

फटेकपड़े

लकड़ीटुकड़े

कतरनगुड़िया

गाड़ीबढ़िया

स्कूलजाती

अव्वलआती

बढ़ताज्ञान

कईअरमान

बाबाफरमान

कटानाम

घरकाम

मेराअंजाम

बर्तनबड़े

छोटेपड़े

नन्हेंहाथ

तड़पतेजज़्बात

लगताऐसे

माँजैसे

होपराई

करेकमाई

मैंहुई

उसकीपरछाई

भाईपालूँ

बहनेंपालूँ

कपड़ेधोऊँ

खानाबनाऊँ

झाड़ूबूहार

घरद्वार

संभालूऐसे

मईयाँजैसे

गलतीहोती

चैनखोती

नमकज्यादा

पकाआधा

गिरताभाई

होतीपिटाई

डंडेखाती

गलियाईजाती

खूबरोती

भूखीसोती

सपनों बिन

बीतेदिन

देखीतितली

आहनिकली

आशाजागी

सरपटभागी

खोलाबस्ता

निकलारस्ता

पढ़ीकिताब

बुनेख्वाब

सबभूल

गईस्कूल

टीचरहमारी

बेहदप्यारी

गलेलगाया

गोदबैठाया

माथासहलाया

खानाखिलाया

समझादर्द

मेरीहमदर्द

घरआई

अम्मासमझाई

कीभलाई

फिरचलाई

सपनागाड़ी

आगंन-वाड़ी

छोटेजाएं

गिनतीगाएं

खेलेखाएं

ज्ञानपाएं

अम्माकमाऐ

बाबाकमाऐ

दिहाड़ीजाएं

पैसेलाएं

पढ़ू अब

बदलासब

सांझसवेरे

सपनेंमेरे

जीवंतहोते

उनमें खोते

सब मिलकर

खा पीकर

बर्तनधोते

कपड़ेधोते

हाथबटाते

गाते-गुनगुनाते

खुशहालगृहस्थी

हरदममस्ती

थेजो

फिरवो

खेतमुंडेर

बारिशपानी

जागीउमंग

खिलेंरगं

प्यारीमुस्कान

नईउड़ान

सुश्री मृदुला घई,
अपर केन्द्रीय भविष्य निधि आयुक्त (मुख्यालय),
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन,
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार

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